लघुकथा
●नव वर्ष का स्वागत है
●महेश राजा
बड़ी उदास सी घड़ी थी।2020 का आखरी दिन।
बूढ़ा साल लाठी के सहारे धीरे धीरे क्षितिज की ओर बढ़ रहा था।उसके चेहरे पर च़िताओं की झांईयाँ थी।दुःखों की सिलवटें थी।उसने बहुत कुछ भोगा था।
उसे इंतजार था उस घड़ी का जब उसके विश्राम का समय आने.वाला था।2021 नव.शिशु के आगमन का इंतजार…..।
दूर उसे एक प्रकाश दिख रहा था।उसकी बूढ़ी आँखे चोंधिया गयी।वह इस तकलीफ़ में भी मुस्कुरा पड़ा।
आखिर वो घड़ी आ ही गयी।2021 की छाया ने 2020 को नमन किया।
बूढ़े साल ने उस बालक को आशीष दिया।स्वगत कहा-“,बेटे,मेरा समय मानव जाति के लिये बहुत कठिनाई का रहा।महामारी,आगजनी,अपहरण ,बलात्कार और आंदोलन।इस बूढ़ी आँखों ने बहुत कुछ सहा।ढ़ेर सारी लाशों को कँधा दिया।मासूम की सिसकियां सुनी…और भी बहुत कुछ…।अब मैं थक गया हूँ बेटा।तुम आओ….और अपना स्थान ग्रहण करों।बहुत थक गया हूँ…..।
अलौकिक प्रकाश निकट आ गया था।उसकी आकृति स्पष्ट हो रही थी।सुकुमार शिशु।
बूढ़ी आँखे मुस्कुरा उठी।पुराने साल ने नये वर्ष का स्वागत किया ।आशीष दिया।तुम्हारा आगमन समूचे विश्व के लिये वरदान सिद्ध हो…।सब कुछ ठीक हो….।
धीरे धीरे पुराना साल अँधकार में गुम हो गया।नये वर्ष का आगमन हुआ।आसमान में चमकीले प्रकाश की किरणें फूट निकला।2021 मुस्कुराता खड़ा था।चारों तरफ आतिशबाजियाँ हो रही थी।नव वर्ष का आगमन हो चुका था।सबने उत्साह से नव वर्ष का स्वागत किया।चारों तरफ खुशनुमा वातावरण स्थापित हो चुका था।