लघुकथा

4 years ago
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●बेड़ियाँ
●महेश राजा

भांजी के जन्मदिन पर चाँदी की पायल जिसमें छोटे छोटे घूँघरू लगे थे,पहना कर वह बहुत खुश हो गयी।

पुरानी बात ताजा हो गयी।

वह छोटी थी तो बहुत प्यारी और चुलबुली।बापाजी उसे राधा रानी पुकारते।

वह हमेंशा बापा के साथ रहती।घर हो या खेत।बापा आदर्श वादी शिक्षक थे।सैलरी कम थी,तो शहर से उसके लिये स्टील की पायल लाये थे।जब वह पहन कर मेड़ पर दौडती।रूनझून आवाज आती।

इन्हीं पलों के साथ बड़ी हो गयी.बापा ने एक बड़े परिवार में उसकी शादी कर दी।पुरानी पायल टूट गयी तो ससुराल में कभी नहीं पहनी।

बापा उसे छोड़ कर चले गये।वह रह गयी उनकी यादों के साथ,अकेली।

वह सबके लिये कुछ न कुछ लाती।चूडिय़ां, अन्य महिला आर्टिफिशियल ज्वैलरी,ईत्यादि।अपने लिये कभी कुछ न लाती।

ससुराल में आकर गृहस्थी की बेड़ियों में ऐसे जकड़ी फिर कभी आजाद न हो पायी।

●लेखक संपर्क-
●9425201544

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