लेख
●हमारी प्राथमिकताएं
-तेज़राम शाक्य
मेरी पड़ोसी के दो बेटे थे। एक 5 वर्ष का और दूसरा 7 वर्ष का दोनों आपस में किसी न किसी बात पर झगड़ा करते रहते थे। छुट्टी के दिन तो दोनों मां की नाक में दम कर दे ते थे। कितना ही चिल्लाओ, डांटो, मारो उन पर कोई असर ही नहीं होता था ।थोड़ी देर में झगड़ा और फिर थोड़ी ही देर में प्यार। जब झगड़ा करते तो ऐसा लगता एक दूसरे के जानी दुश्मन है। फिर कब उनमें सुलह हो जाती पता ही नहीं चलता था। लगता बचपन में सभी बच्चे चाहे भाई-बहन हो, चाहे दोनों बहने हो, या दोनों भाई हो आपस में झगड़ते ही है। शायद इसी झगड़े से उनके आपस का प्रेम परवान चढ़ता है ,अधिकतर परिवारों में यह देखा जाता है कि जब वे बड़े हो जाते हैं तो उनके बचपन की यही लड़ाई उन्हें एक सूत्र में बांध कर रखती है।
मेरे सामने का वाकिया है, मेरे पड़ोसी के दोनों बेटे गैलरी में क्रिकेट खेल रहे थे। गैलरी के बाजू में एक सुंदर सा गार्डन था जिसे उनके पिता ने बहुत मेहनत से उसे खूबसूरत बनाया था जो भी आगंतुक आता था, उस गार्डन की तारीफ किए बगैर नहीं जाता था। उनके पिता उन पौधों को बच्चों की तरह पाल रहे थे, सेवा करते थे। तो खेलते खेलते बाल बाहर गंदी नाली में गिर गई, फिर क्या था झगड़ा शुरू। कोई बाल को नाली से निकालने तैयार नहीं था। बड़े भाई ने छोटे को धक्का दे दिया, और वह सीधे क्यारी में जा गिरा और फूलों के पौधे धराशाई हो गए।
उसके पिताजी के साथ हम लोग अंदर बैठे थे ,जहां से दोनों दिख रहे थे। उनके पिताजी बाहर आए, देखा 2 फुट चौड़ी जगह समतल हो गई है। उनका संयम जवाब दे गया। वह अपने बेटे को जोर-जोर से डांटते हुए उसे मारने दौड़े ।जोर जोर की आवाज सुनकर बच्चों की मां बाहर आई ,उसने अपने पति के कंधे पर हाथ रखा और बोला, याद रखो हम फूलों को नहीं बच्चों को पाल रहे हैं। उसने याद दिलाया की माता पिता के रूप में प्राथमिकताओं को याद रखना कितना महत्वपूर्ण है ।बच्चे और उनका आत्मसम्मान भौतिक वस्तु से ज्यादा महत्वपूर्ण है जिसे उन्होंने तोड़ा या नष्ट किया ।बाल से कांच टूटना किचन में प्लेट टूटना या कांच का गिलास अचानक गिर ना यह सब स्वाभाविक है जब नुकसान हो चुका है तो हमें याद रखना चाहिए कि बच्चे का मनोबल और उसका उत्साह कम करके और नुकसान को बढ़ाना नहीं चाहिए।
एक और घटना जब हम अपने मित्र परिवार के साथ डिनर के लिए एक होटल गए हुए थे। हमारे मित्र के छोटे बेटे ने टेबल पर पानी का गिलास गिरा दिया, मैं समझ गया कि उनके पिता अपनी आदत के अनुसार डांटेंगे जरूर ।तभी मैंने भी जानबूझकर अपना गिलास गिरा दिया और बोला अरे! यह क्या हुआ मेरे से भी गिलास गिर गया। यह देखकर हमारे मित्र का गुस्सा थोड़ा शांत हुआ। मैं बोला कि 48 वर्ष की उम्र में भी मै गिलास गिरा देता हूं। तो बच्चे मुस्कुराने लगे।माता-पिता को भी संदेश मिल गया और उनका तमतमा या चेहरा शांत हो गया
हम सब कैसे भूल जाते हैं कि हम सब भी अभी सीख रहे हैं ।हमें याद रखना चाहिए कि हमारे बच्चों की भावनाये किसी भी भौतिक चीज से ज्यादा महत्वपूर्ण है ।जब हम यह याद रखते हैं तो आत्म सम्मान और प्रेम फूलों की क्यारियों से ज्यादा सुंदरता से खिलने लगते हैं।