कहानी
●औऱ वह डर गई
-दीप्ति श्रीवास्तव
बचपन से भूत चुड़ैल डाकिन की किस्से कहानियों ने मन में ऐसा डेरा डाला की कभी रात को अकेले गहन अन्धकार में जाने से पूर्व ही मन घिघियाने लगता है । सुने हुए वाक्ये जेहान में कौंधने लगते , ऐसा केवल मेरे साथ ही नहीं है यह हमारे यहां बहुतेरे लोगों के साथ होता है ।
बात अभी ताजा ताजा है मेरी बहन को अस्पताल में बीमारी के उपचार हेतु एडमिट होना पड़ा । वह जनरल वार्ड में थी
उसके पीछे थोड़ी दूर मरच्यूरी भी था । उस ओर से लोगों का आना-जाना कम ही होता था । एक रात मैं गहरी नींद में सो गया उसने मुझे उठाना मुनासिब नहीं समझा और पानी खत्म होने के कारण खुद ही पानी लेने चली गई ।
अस्पताल का मिला हुए सफेद गाउन उस पर उसके घुंघराले अधपके खुले हुए अस्त-व्यस्त बाल । पानी भर ही रही थी कि दूर से एक आदमी उसने अपनी ओर आते देखा । फिर उस आदमी को भागते देखा । मेरी बहन डर के कांपने लगी उल्टे पांव वापस वार्ड में लौटने लगी ।
तब तक वह आदमी हांफते हुए डाक्टरों के रूम में डर से घुस गया उनके पूछने पर बताया कि वहां एक चुड़ैल बाल खुले हुए पानी भर रही है । मै डर कर वापस लौट आया दूर से उसके पांव दिखाई नहीं पड़ रहे थे उल्टे है कि सीधे ।
उधर से मेरी बहन भी डरकर कांपते हुए बैंड पर आ बैठी । मुझे जगाया – “भाई भाई….” तब तक डाक्टर स्थिति भांपकर समझ चुके थे मजा लेने उस आदमी को बहन के पास वार्ड में लेकर आये – “यही है ना वो ”
अब वह शर्म से पानी-पानी होने लगा । बहन भी अपना मुंह छुपा रही थी क्योंकि उसने भी उस आदमी को कुछ ऐसा ही समझा ।
हमारी मानसिकता ऐसी है कि मन के संदूक में दबी परत के नीचे छुपे किस्से कहानियों को हम यथार्थ में अनुभव कर अपने मन में घर कर लेते हैं । और अर्ध रात्रिकाल में पत्ता खड़कने की आवाज से भी भयभीत हो किस्से कहानियां जीवंत हो उठते हैं ।
[ ●रायपुर, छत्तीसगढ़ निवासी दीप्ति श्रीवास्तव की रचनाएं देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होते रहती है. ●आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से भी आपकी कहानी,कविताओं का प्रसारण होते रहता है. ●’छत्तीसगढ़ आसपास’, की शुभचिंतक दीप्ति श्रीवास्तव जी की नई मौलिक कहानी ‘औऱ वह डर गई’ पाठकों औऱ वीवर्स के लिए प्रस्तुत है, कैसी लगी,अवश्य लिखें. -संपादक ]
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