लघु कथा
■संतोष धन
-महेश राजा
[ कॉलेज रोड, महासमुंद, छत्तीसगढ़]
वे बहुत मध्यम वर्गीय परिवार से थे।बचपन अभावों में बीता।भैया ने खूब पढ़ा लिखा कर एक अच्छे घर की पढ़ी लिखी लड़की से उसका ब्याह कर दिया।
सर्विस के सिलसिले में ट्रांसफर होने से वे शहर में बस गये पत्नी भी शिक्षिका बन गयी।
शहर में अकेले थे।तो कोई दोस्त न बन पाया था।अब पति पत्नी दोनों में दोस्ती हो गयी।वे अपने सुख-दुःख की बातें शेयर करने लगे।घर,आफिस और अन्य सामाजिक बातें।
इस तरह से दोनों और समीप आ गये।पत्नी समझदार थी।उसे धन या अन्य विलासिता की वस्तुओं का जरा भी शौक न था।पति भी उसी सोंच में ढल गया।
सुंदर घरौंदा बन गया।कई भौतिक वस्तुओं का अभाव होने पर भी वे शांति से जीने लगे।बचत की आदत थी।कुछ रूपये भी जमा हो गये।अब वे संतान लाने की योजना बनाने लगे।
सचमुच संतोष जीवन को आसान और सुखी बना देता है।
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