विश्व जल दिवस पर विशेष- लघुकथा, महेश राजा.
•जल ही जीवन है
-महेश राजा
[ महासमुंद-छत्तीसगढ़ ]
गुजरात का प्रख्यात शहर।आदित्य कालोनी में सब संभ्रात परिवार रहते।
पानी की समस्या थी ,तो हर रोज सोसायटी बडे टैंकर मँगवाकर सुबह सात से आठ जल आपूर्ति करती।
पानी की बचत पर ध्यान दिया जाता।
एक रोज सी विंग के परिवार जन पिकनिक हेतू छह बजे ही निकल गये।बाथरूम का नल खुला रह गया।
दिन भर पानी बहता रहा।समिति ने फोन लगाया तो कव्हरेज क्षेत्र से बाहर बताता रहा।मुश्किल से मेन वाल्व से बंद किया गया।
नियमानुसार उन्हें एक हजार रूपये जुर्माना होना तय था।कालोनी के एक बुजुर्ग ने कहा,यह सजा कम है।रूपये तो वे भर देंगे,परंतु पानी की कीमत उन्हें कैसे पता चलेगी।हाँ उनकी एक दिन की पानी सप्लाई बंद कर दें तो शायद वे इसका मोल समझ सकेंगे।
आज पानी रूपयों में बिक रहा है।भविष्य में जलस्तर और भी नीचे हो सकता है।हमारी भावी पीढ़ी की भलाई हेतू जल का बचाव जरूरी है।
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