■छत्तीसगढ़ में नक्सली मुठभेड़: •शहादत पर गर्व •महेश राजा की देश भक्ति पर लघुकथा
●शहादत
-महेश राजा
अपनी कर्म भूमि पर दुश्मनों की गोली लगने से उसकी मौत हो गयी।ससम्मान उसका शव गाँव लाया गया।राजकीय सम्मान से उसका अंतिम संस्कार होना था।मां,बहू और पोते के साथ शांत खडी थी।
गांव की महिलाएं खुसुर पुसुर कर रही थी,यह जमुना भी न हमारी बात कभी नहीं सुनती ।पहले पति खोया अब बेटा।लाख मना किया था,मत भेजो बेटे को फौज में।पर,नहीं।जिद कि लडका फौजी ही बनेगा।
सब पहुंँच गये थे।मांँ की आंँख मे गर्व के आंँसू थे।अधिकारी ने बताया,-“आपका पुत्र बहादुरी के साथ लड़ते हुए शहीद हुआ।”
मां के होंठ धीरे से हिले,-“साहब.मेरा दूसरा बेटा भी होता तो मै उसे देश सेवा मे जरूर भेजती।”
बहु भी अपने बेटे के साथ अंतिम दर्शन को आयी.अपने बेटे को गोद मे लेकर बोली,”मैं शपथ लेती हूँ, कि अपने पिता के समान ही उसका बेटा भी सेना में भरती होगा।”
सबकी आंखे नम थी.मन भारी था।पर सभी उस परिवार की देशभक्ति को नमन कर रहे थे।
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