लघुकथा- महेश राजा
●एक टुकड़ा छांव
-महेश राजा
[ महासमुंद-छत्तीसगढ़]
राधे एक अपने गांव से दूर एक राज्य में रोजीरोटी की तलाश में छह माह पहले ही आया था। छोटा बच्चा था,साथ में।गांव में बूढ़े माँबाप और एक कुंआरी जवान बहन।
एक सपना लेकर पहुंचा था।साथी की मदद से काम मिल गया था।दो माह बाद घर भी कुछ रूपये भिजवा पाया था।अपनी वर्तमान स्थिति से खुश था।अभी और मेहनत कर ज्यादा कमाना था ताकि बहन का ब्याह हो सके,साथ ही परिवार का भरण पोषण भी।
एकाएक यह महामारी आ गयी।मालिक का काम बंद हो गया तो थोड़े रूपयें देकर सबको मना कर दिया।
मकान किराया वह दे नहीं पाया था।आज मकानमालिक ने भी कह दिया।दो तीन रोज में मकान खाली कर दो।
कुछ समज में नहीं आ रहा था।बस इतना पता था कि सारी दुनिया में यह बीमारी फैल गयी है,और लोग मर रहे है।
उसे गांव की भी चिंता थी।वहां फोन की व्यवस्था भी नहीं थी।एक दूर के रिश्तेदार को घर भेजकर कुशलक्षेम पता लगी थी।
सामान के नाम पर थोडा़ बहुत था।उसे तो ले जा नहीं सकते थे।एक पुरानी पेटी और एक थैला था।
मकान छोड़ना ही पड़ा।गांव बहुत दूर था।सभी मजदूर पलायन कर रहे थे।
वे लोग भी निकल पड़े।थोड़े रूपये थे तो बच्चे के लिये दूध,पानी और फल खरीदा था।
म ई माह।भीषण गर्मी।सड़क तप रही थी।चप्पलें भी जवाब दे रही थी।
कहीं कहीं पर कुछ नाश्ता और पानी मिल जा रहा था।कोई साधन न था तो एक समूह के साथ पैदल ही चल रहे थे।
घरवाली और बच्चे के सूखे मुँह देख कर उसे अपनी विवशता पर खीज आयी।
कोई ठिकाना मिलता तो रूकते फिर आगे बढ़ जाते।
कभी कोई खबर आती।इतने मजदूर सड़क या ट्रेन हादसे में मर गये,तो वे काँप उठते।
फिर पता चला,शासन उनको घर पहुंचाने की व्यवस्था कर रही है,तो थोड़ी राहत महसूस हुई कि चलो जैसे भी हो सब साथ रहकर सुखदुःख में गुजारा कर लेंगे।
ठोकर लगने से घरवाली की चप्पल टूट कर गिर गयी।उन्हें रूकना पड़ा।थोड़ी देर बाद एक वाहन में कुछ लोग खाना और पानी लिये आये तो हाथ जोड़कर राधे ने विनंती कि-“साहब,खाना तो मिल ही जायेगा।एक जोड़ी चप्पल दिला देते।मेहरारू के पांव में छाले हो रहे है,और दूर तक पैदल जाना है।”
सभी कार्य कर्ता बगलें झांकने लगे।वे भी क्या करते,वे तो भोजन पानी बांटने निकले थे।
थोडी़ देर में वाहन आगे बढ़ गया।अचानक धूप बढ़ गयी।चक्कर सा आने लगा।उसने घरवालीऔर बच्चों की तरफ देखा।वे परेशान दिख रहे थे।बच्चे के आँसू सूख गये थे
राधे अब इधर उधर नजर दौड़ा कर एक टुकड़ा छाँव ढ़ूंढ़ रहा था।ताकि वह अपनी घरवाली और बच्चे को थोडा़ सा सुकून तो दे सके।
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