■रचना आसपास : •डॉ. बलदाऊ राम साहू.
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●छोटा सा परिवार
-डॉ. बलदाऊ राम साहू
[ दुर्ग-छत्तीसगढ़ ]
सारे जग से सुन्दर अपना
छोटा-सा परिवार।
दादा-दादी, मम्मी-पापा
सारे जन रहते हैं
सुख हो दुख हो, धूप-छाँव सब
साथ-साथ सहते हैं।
अपना परिवार कल्पवृक्ष है
है सबका आधार।
जितने सारे लोग यहाँ पर
सबसे सबका नाता
जोड़ रखा ना जाने कैसे
हमको भाग्य विधाता।
एक दूसरे के पूरक हैं
रखते नेह अपार।
कभी धूप संग किरण मनोहर
कभी अंधेरी रात
कभी शीतल, सुखद बासंती
होती है बरसात।
समय चक्र अदभुत लगता है
जैसे सुखद विचार।
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