■दो लघुकथा : •विक्रम ‘अपना’.
●नोट छापने की मशीन
दसवीं के बाद पोता, दादा जी से विषय चयन के लिए मार्गदर्शन लेने गया।
मेडिकल स्टोर संचालक दादा जी ने उसे जीवन का कटु अनुभव सुनाते हुए कहा…..
देखो!! मैंने अपने तीनों बच्चों की जिद पर उन्हें लाखों रुपये खर्च कर एम बी ए, इंजीनियरिंग और पी एच डी की पढ़ाई करवाई।
लेकिन वे तीनों आज जैसे तैसे जीवन गुजार रहे हैं।
फिर संजीदा होकर वे बोले……
तू तो पढ़ाई में एवरेज है इसीलिए तू बी फार्मा कर ले।
फिर मेडिकल दुकान खोलकर बेधड़क नोट छाप।
●सबसे ज्यादा जरूरी क्या ?
कुछ नया करने की चाहत लिए छछूंदरलाल ने, खतरनाक स्टंट करने की ठानी।
वह दो नदी के संगम के तेज धारे पर, नाव पर बैठे हुए भँवर का वीडियो बनाने लगा कि तभी उसका फोन, मेमोरी फुल होने से हैंग हो गया।
वह कौन सी फाइल डिलीट करे इसे लेकर वह अनिर्णय की स्थिति में था क्योंकि उसे अपने फोन का हर डाटा अपने जीवन के लिए बहुत जरूरी लग रहा था।
मसलन फोटोग्राफ, वीडियोज, सुविचार और कई सुप्रभाती संदेश।
यह विचार करते करते उसे यह अहसास भी नहीं हुआ कि उसकी नाव भँवर में फँसकर डूब रही है।
उसे तो तब पता लगा जब मोबाइल सहित उसकी नाव नदी में डूब गई।
वह तो जैसे तैसे तैरकर बाहर निकला।
अब नदी किनारे चित्त पड़े तेज सांसों की चलती धौंकनी के बीच उसे यह अहसास हो गया था कि जीवन जीने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी सांसे हैं।
आज उसे तट की धूप, पंछियों का कलरव व नदी के लहरों के घुंघरू की आवाजें बड़ी अच्छी लग रही थी।
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