■ लघुकथा : •मनीषा बनर्जी.
●बदली हुई चाल
-मनीषा बनर्जी
[ नागपुर-महाराष्ट्र ]
डॉली ने अपने घर की बालकनी में कुछ चीनी के दाने बिखेर रखे थे चीटियों के लिए।साथ ही मुट्ठी भर चावल छितरा दिये थे उसने चुनमुन चिड़ियों के वास्ते। फिर चिड़ियों की पानी की कटोरी में पानी भरने के लिए नल के पास चली गयी।वापस कटोरी रखने के लिये जब डॉली आई तो उसकी नज़र एक चींटी पर पड़ी। वह चींटी मुँह में दाना पकड़कर बड़ी ही फुर्ती के साथ आगे बढ़ती जा रही थी। तभी अचानक एक चिड़िया के चावल चुगने आ जाने से उसके डैनों की हवा से बेचारी चींटी के मुँह का दाना छिटक कर कुछ दूर जा गिरा। यह देखकर डॉली से न रहा गया। उसने वह चीनी का दाना उठाकर चींटी के मुँह के पास रख दिया। चींटी रानी की ख़ुशी देखते ही बनती थी। उसने अपने नन्हे से मुँह में चीनी का दाना मानो
और भी ज़्यादा ज़ोर से पकड़ कर भरसक तेज़ी से आगे बढ़ना शुरू कर दिया। शायद खोई हुई प्रिय वस्तु वापस पा जाने की ख़ुशी ने चींटी रानी की चाल ही पूरी की पूरी बदल डाली थी। डॉली को अपनी कल्पना पर बरबस हँसी आ गई। भला चींटी की चाल भी कभी बदल सकती है क्या?
बहरहाल अब डॉली बालकनी से किचन में आकर पिंडी छोले बनाने के लिए कुकर लगाने लगी। अरे यह क्या? कुकर की सीटी कहीं दिखाई नहीं पड़ रही।कुकर भी कोई ऐसा वैसा नहीं! डॉली की स्वर्गवासी माँ का बड़े स्नेह के साथ गिफ़्ट किया हुआ कुकर था वह।डॉली ने किचन तो किचन घर का कोना कोना छान मारा। पर सीटी नदारद! हैरान परेशान हो कर डॉली ने अपनी खाना पकाने वाली मिसराइन आँटी को फ़ोन किया जो उस दिन छुट्टी पर थी। पता चला कि मिसराइन आँटी ने कम दिखने की वजह से सब्ज़ियों के छिलकों के साथ ही प्लेटफॉर्म पर पड़ी हुई सीटी को भी शायद नीचे फेंक दिया। यह सुनकर डॉली अपना सिर पकड़कर बैठ गई। कुछ देर बाद डॉली के कदम नीचे की ओर बढ़ चले। नीचे जाकर डॉली ने डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी के समान ज़मीन का चप्पा चप्पा छानना शुरु कर दिया।बस सिर्फ बैकग्राउंड
में ब्योमकेश बख्शी के सिग्नेचर ट्यून के बजने की ही देर थी। यूरेका ! अचानक डॉली की नज़र गुड़हल के झाड़ की निचली डाल पर जा ठहरी। पत्तियों के बीच अटकी पड़ी उसकी कुकर की सीटी सूर्यकिरणों के पड़ने से किसी हीरे की नाईं चमचमा रही थी।उस पल डॉली को अपनी खोई हुई कुकर की सीटी कोहिनूर हीरे से भी ज़्यादा बेशकीमती जान पड़ी।
उमंग से लपककर डॉली ने डाली की ओर हाथ बढ़ाकर अपनी सीटी निकाल ली।
सीटी को लेकर आगे बढ़ते समय डॉली को एकाएक चींटी रानी की याद आ गई। उसने अनुभव किया कि अभी सीटी के मिलते ही अचानक उसकी भी चाल पूरी की पूरी बदल गई है।
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