■लघुकथा : •महेश राजा.
●नमक का मोल
-महेश राजा
[ महासमुंद-छत्तीसगढ़ ]
तालाबँदी के दौरान जीवनशैली बदल गयी थी।कोई भी काम अपनी रूटीन से न हो रहा था।
वे दो ही लोग थे।जरूरतें कम थी।संग्रह ण का भी विचार न रखते थे।सादा जीवन उच्च विचार शैली अपनाते।
एक सुबह पत्नी ने उन्हें बताया कि नमक समाप्त हो गया है,महीने के सामान की सूचि में वे लिखना भूल गयी थी।
उन्हें भी लगा,चलो बाजार हो आते है।बहुत दिनों से घर से बाहर निकले ही न थे।
मास्क लगा कर सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए वे परिचित किराना दुकान पहुंचे।नमस्कार आदि की औपचारिकता के बाद उन्होंने सामान की सूचि बतायी ।इस पर दुकानदार बोले,-“नमक तो आज नहीं दे पाऊँगा।सारा स्टाक समाप्त हो गया है।”
उन्हें आश्चर्य हुआ ,नमक जैसी रोजमर्रा की सामान्य वस्तु के स्टाक में कमी कैसे हो सकती है?दो तीन लोगों से बात करने पर पता चला कि कल किसी ने सोशल मीडिया पर अफवाह फैला दी थी कि भारत में आने वाले दिनों में नमक की शार्टेज रहेगी।बस ,फिर क्या था,कल शाम से देर रात तक लोगों ने कतार लगा कर नमक की खरीदारी की।दो पैकेट उपयोग करने वाले पाँच पैकेट खरीद करले गये।
मुनाफाखोरों ने लाभ उठाया ।बाजार से नमक ही गायब कर दिया।प्रशासन की आँखें खुली,उन्होंने स्टाक और कालाबाजारी करने वालों पर कार्य वाही करने की ठानी।
अब दुकानदारों ने नमक बेचना ही बंद किया।
इस देश और यहाँ के कुछ लोगों की मनोदशा पर मन में क्षोभ हो आया।महामारी के इस संकट में सब अपनी जान बचाने में लगे है:ऐसे में यह लोग अफवाह और नमक की कमी करवा रहे है; क्यों?।गुस्सा भी आ रहा था और रहम भी।
वे थैला लिये वापस लौट रहे थे कि आज दाल सब्जी, बगैर नमक के ही खानी होगी..। तभीएक दुकानदार ने उन्हें आवाज दी..और फुसफसाते हुए कहा,”-चाचा आप घर के हो।आपका इस तरह से परेशान देखना मुझे अच्छा नहीं लग रहा…आप ऐसा करना..,..चार बजे चुपचाप दुकान पर आ जाना मैं आपको दो पैकेट नमक दे दूंगा।हाँ दाम थोड़े ज्यादा लगेंगे…।
वे देश,नागरिक, पत्नी और नमक विषय पर विचारणा करते हुए घर पहुंचे।पुराना खून था।दुःख भी हो रहा था ,और स्वयं कोविवश भी महसूस कर रहे थे…
मन ही मन सोच रहे थे क्या यही मेरा भारत देश है..क्या इसी देश के लिये हमारे पुरखों ने खून बहाया था।अफसोस…।
साथ ही याद हो आया ,जब वे छोटे थे,हाथ से नमक गिर जाता तो माँ कहती थी,बेटा नमक का बड़ा मोल है,इसे इस तरह नहीं गिराना चाहिये।पाप लगता है।
उन्हें आज नमक का मोल समझ में आ गया था।
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