■छत्तीसगढ़ी कहानी : •चन्द्रहास साहू.
●इन्द्राणी
-चन्द्रहास साहू.
[ धमतरी-छत्तीसगढ़ ]
ओखर करा महल अटारी नई रिहिस । फेर नानकुन कुंदरा रिहिस टूटहा । मीत मितानीन कस चिरई चिरगुन आ जावय उही रद्दा मा जौन रद्दा ले सुरूज चंदा के अंजोर अवतरे कुरिया मा । खार मा खेत नई रिहिस । फेर काबा भर अगास रिहिस। ओखर करा गाहना जेवर नई हावय फेर मीठ बोली के जैजात हावय । भरे कोठी नई हावय फेर मन हा पोठ हावय । ताल तरिया नई हे फेर आंखी मा समुन्दर लहरा मारत हे । मांग सुन्ना हावय फेर कोरा सुन्ना नइ हे। ओखर करा राज पाठ नइ हावय फेर नाव ‘‘इंदरानी‘‘ हावय ।
सिरतोन मेहां इन्दरानी के गोठ करत हव । घात सुघ्घर रिहिस गांव मा बहुरिया बनके आइस तब । कजरारी आंखी , चाकर माथ , लंबा चुन्दी , मेंहदी रचे हाथ अऊ माहुर लगे गोड़ कोवर कोवर । हासे तब मोती कस दांत अऊ गोठियावय तब मंदरस झरे। येदे लुगरा ला काकी देये हे । ये दे ला बड़की दाई , फूल दाई , गड़ी मन फरिहा फरिहा के देखाये लागिस गाहना जेवर अऊ जोरन के जम्मो जिनिस ला । गरीबीन के बेटी अऊ अतका गाहना लुगरा जोरन। देखइया के मुहू उघरगे ।
नवां ठउर , नवां सपना, नवां नत्ता गोत्ता । मखमली नवां गद्दा मा मुचकावत सुतिस । डुहरू धरे मोंगरा घला फुल मातगे , ममहाये लागिस । गदके लागिस इन्दरानी कस । काबा भर ले जादा उछाह रिहिस । आंखी उघरिस तब कोवर कोवर गोड़ ला भुंइया मा मड़हाइस अऊ ठाड़ सुखागे अपन गोसाइयां ला देख के। जम्मो रूपिया पइसा गाहना जेवर ला नानकुन झोला मा डारत रिहिस गोसाइया हा। ओखर सिकल डरभूतहा लागत रिहिस।
’’तेहां उठगेस या इन्दरानी खीः खीः ……’’
गोसाइयां हासे लागिस ।
इंदरानी अपन गोसाइयां के बरन ला देखे। रिकम रिकम के रंग रिहिस ओखर सिकल मा।
“ बिहाव के अब्बड़ करजा होगे हावय इही गाहना जेवर ला बेच के छुटहू” गोसाइयां किहिस अऊ कुरिया ले निकलगे । इंदरानी ला झिमझिमासी लागिस मुहू ले बक्का नइ फुटिस । बोटोर बोटोर देखते रहिगे कभू दाहिज के उघरा आलमारी ला , कभू टेड़गा कुची ला तब कभू कुरिया के सुन्ना रस्दा ला । बिछिया, साटी, माला, मुंदरी, नेकलेस जम्मो ला सोसन भर देख नई पाइस अऊ जम्मो बेचागे।
दस एकड़ खेत डबल फसल वाला । टूरा पढ़े लिखे होनहार जम्मो लबारी होगे इंदरानी बर । लबारी मार के नत्ता जोरे रिहिस इन्दरानी संग ओखर गोसाइयां हा।
इन्दरानी के जम्मो सपना टूटगे। जम्मो साध नंदागे । सपना ला अऊ देखे जा सकथे , साध ला घला संपूरन करे जा सकथे जब गोसाइया सोला आना रही तब । फेर इंदरानी के गोसाइयां ला का चाही …… ? फटफटी बर पेट्रोल अऊ पेट बर दारू । दारू नई पीये तब कोनो ऐब नई हावय अऊ दारू पी डारिस तब कोनो गुण नइहे । जम्मो ला सवांसत एक झन टूरा के महतारी बनगे इंदरानी हा । टूरा जनम आये के पारटी बच्छर भर चलिस अऊ नोनी ला अम्मल मा होगे इंदरानी हा। जम्मो जैजात तो आगू ले सिरागे रिहिस। टूरी के छट्ठी के दिन “मरद” जैजात घला सिरागे । खोरवा ससुर अऊ लोकवा वाली सास के सेवा जतन करे कि लइका मन ला दुलार करे ?
’’बेटी पढ़ लिख ले , कोनो हुनर सीख ले’’ ।
’’नांव गांव के पुरती तो पढ़ डारेव ददा । चुलहा फुकहु आगी बारहु अऊ का करहू …..’’?
अइसना तो काहय इंदरानी हा अपन ददा के गोठ ला सुनके । कोन जन भविस का होतिस ते भगवान …? संसो करे अऊ आंखी के कोर के आंसू ला पोछे ।
दाऊ के बखरी मा साग भाजी टोरे बर चल देवय। पेट के आगी ला बुताये ला परही। इही बुता सुभित्ता लागिस रोजी के रोजी अऊ खाये बर बारी के साग सब्जी । जांगर टोर बुता करवाथे दाऊ हा फेर गरीबीन के चूल्हा के सुध राखथे। ददा कस दाऊ पाके इन्दरानी घला उछाह मनाथे। घर के बुता कस बिधुन होके कमाथे। फेर…?
गोसाइयां मंदहा राहय कि गंजहा कोनो हा इंदरानी ला नई कोचके रिहिस । ओखर बीते ले नान नान टूरा मन कोचकथे । कुन्दरू के नार मा हाथ नई अरझे दाऊ के टूरा हा मरवा ला तीर लेथे । झिटका मा अरहज के लुगरा नई चिराय टूरा के इतराई मा चिरावत हे ।
’’खार मा खेत नही गांव मा घर नही बैंक खाता मा पइसा नही तभो ले तेहां गरीबीन नो हरस इंदरानी । तोर जैजात ले गांव मा घर बन जाही। सास ससुर के जतन अऊ नोनी बाबू के भविस बर पइसा सकेला जाही, भात बासी बर नई लुलवावव। सियान मन नई तरसे । इन्दरानी तोर करा जैजात हावय सुघ्घर बरन के । खजाना हावय मोटियारी पन के। मइलाहा घोंघटाहा ओन्हा ला हेर अऊ नवा लुगरा पहिर । उज्जर पानी मा मुहु धोके काजर पावडर लगाके तो देख दस झन लहुट लहुट के नई देखही तब मोर नाव मा कुकुर पोस लेबे ”
दाऊ के टूरा भीखम किरिया खाइस ।
इंदरानी अांसू ढ़रकावत टूकुर टूकुर देखत रिहिस ।
“पाप पुन काही नई होवय इंदरानी सब ले बड़का आए तो पेट के आगी आए लइका के भविस अऊ सियान के जतन बर ये सोला सौ के लुगरा ला पहिर ले ।“ दाऊ के टूरा हा जोजियाये लागिस । बेरा बेरा म अइसने तो कहिथे दाऊ के टुरा हा। मेहा अइसन पाप नइ करव। मोर पुरखा मन का कहि …? मोर ददा सास ससुर का कहि….? मोर नोनी बाबू का कहि…? इन्दरानी के अंतस मा गरेरा चलत रिहिस। रोगहा फेर आगेस मोर मति ला बिगाड़े बर। इन्दरानी मने मन फेर बखानीस । फेर …..?
चार झन डॉंक्टर. मन सोज सोज सुना देहे सियान के इलाज नइ करव अइसे । लइका मन हा हप्ता दिन होगे स्कूल नई जावत हे। फीस नई पटे हे । वहु मन सोज्झे सुना देहे फीस जमा कर तब लइका मन पढ़ही नही ते …. ? सम्मार ले लइका मन के नाव ल काट देबोन। सियान मन नई खुरचे । लइका मन नई लुलवाय मोर पीढ़ी ला सुघ्घर बनाना हावय तब तोला मोटाये ला परही। इंदरानी मेटाये ला परही , बेचाये ला परही । इन्दरानी के अंतस के गरेरा ले छाती बोजाये ला धरिस । कोनो नइ जानही तब…? अऊ लइका ला सुघ्घर पढा लिखा दुहु ते मोर बरोबर लुलवाही तो नही , सुख ले तो रही….? सियान मन बिना इलाज पानी के घिलर- घिलर के तो नइ मरही …?
इंदरानी अपन अंतस के आरो ला सुनिस अऊ सोला सौ के लुगरा ला झोंक के कुरिया मा खुसरगे । कपाट ला भकरस ले ओधाइस अऊ बेचागे इंदरानी हा । एक दरी बेचाय बर अब्बड़ गुनिस फेर अब कोनो बेरा नइ लागे .. !एक बेर दु बेर अब तो घेरी बेरी बेचाय लागिस इन्दरानी हा ।
“ रोगहा डॉंक्टर हो अब जतका पइसा लागही ओतका पइसा कुढ़होहू फेर सियान के इलाज करव ” इंदरानी अइसना फुसफुसाइस । पहिनना ओढ़ना , खाना पीना अब कोनो जिनिस के कमती नइ होवय ।
अपन दुनो लइका ला बड़का शहर के स्कूल मा भरती करिस अऊ हॉस्टल मा राखिस । सियान मन घला उछाह मनावय जतन ला देखके । का जानही ओ मन…?
मोर बेटा बनके जतन करत हस बेटी तेहां दुधे नहा दुधे अचो इन्दरानी ! सियान मन आसीस देवय। घर बनगे चमकट्ठा। गाड़ी लेवागे चार चक्का वाला । साम दाम दण्ड भेद जम्मो जिनिस सीखगे इंदरानी हा । सादा पहिरइयां वाला संग मितान बध डारिस अऊ खाखी वाला रखवार होगे तब का जिनिस के डर हावय इंदरानी ला….?
इंदरानी अब अपन गांव मा राहय। अब कोनो जिनिस के कमती नइ हावय।
पीरा रिहिस । अपमान रिहिस । दुख के पहाड़ ला बोहे रिहिस । फेर अब उछाह मा घला हावय। लइका मन घला पढ़ लिख डारिस नोनी हा नरस दीदी बनगे अऊ बाबू हा बिद्वान डॉक्टर ।
धुप दसांग के ममहासी हावा के दिशा मा उड़हाथे फेर बदनामी हा चारो कोती उड़हाये लागथे । लइका मन झन जाने बुता ला कहिके दस बच्छर होगे भेंट पलगी , नइ करे हावय इंदरानी हा ।
लइका ला दस बच्छर ले नइ देखिस बेटा अनचिन्हार होगे। लइका पढ़हत रिहिस खाता मा पइसा डार देवय । अब लइका कमावत हे तब इंदरानी हा “बेसिया” होगे ‘‘बेसिया‘‘। “ साहर मा मोर अब्बड़ ईज्जत हावय मोर संग झन भेंट करबे दाई ” इन्दरानी के बेटा अइसना तो किहिस। इन्दरानी गुणे लागथे खटिया मा सुते सुते ।
दाई मेहां बिहाव कर डारेव । तोर बहुरिया हा घला सुन डारे हावय तोर चाल ला । तोर सोर ला । नइ आवन तोर तीर मा । नई ओधन तोर कोरा मा । पाप के पइसा मा काबर पढ़ायेस दाई ……। अप्पढ़ रहितेन ते दुनिया के आनी बानी के गोठ नई सुनतेंव। कभू मोला फोन झन करबें। महु हा तोला कभू फोन नई करव टू टू टू…….। फोन कटगे । इंदरानी के बेटा किहिस। खटिया मा गिरिस इंदरानी हा ते खटिया के पुरती होगे । बेरा बखत मा ओखर बेटी हा ईलाज करे ।
इंदरानी एक दरी अऊ मेटागे । घर गाड़ी जम्मो बेचागे । कोन जन इंदरानी जिही धुन मरही ते …? डाक्टर मन इंदरानी ला एड्स होगे हावय कहिथे । जेखर बर बेचाइस, मेटाइस तहू सुध नई लेवत हे। का होही बपरी के …? अब तो तिल तिल मरत हे , तिल तिल बेचागे इंदरानी हा । इन्दरानी के आँखी के कोर ले आँसू ढ़रकत हावय । सरहा काया के घला कोनो लेवाल नइ हावय। अब तो कोनो आरो करईया नइ हावय फेर अगोरा हावय आगास ले आरो आ जाये इन्दरानी इन्दरानी ….।
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