■रचना आसपास : •सरस्वती धानेश्वर.
●किसने पुकारा है मुझे
-सरस्वती धानेश्वर
[ भिलाई-छत्तीसगढ़ ]
एकांत अक्सर मुझसे बातें करता है, मेरी संवेदनाओं को तराशता है,
मुझे जीने के लिए मेरी मुट्ठी में कुछ शब्द थमा जाता है जिन्हें में अक्सर अपने एहसासों संग साझा कर पाती हूं।
एकांत मुझे आमंत्रित कर, उकेर जाता है कई चित्र मेरे मानस पटल पर,
दे जाता है कई एहसास जैसे पुकारता है कोई मुझे।
एकांत मुझे आमंत्रित कर मेरी प्रेममयी स्मृतियों को जगा जाता है, गहरी नींद के मुहाने तले सपनों के घाट पर ले जाता है मुझे। अनुभूति की छुअन,
स्नेह की मिट्टी में रौपे हुए दरख़्तों का पत्ता पत्ता,
सरसराती सी पुरवाई,
और सुरमई शाम के दिए तले शामिल होता एक अल्हद अंतरनाद,एक अनछुआ सा एहसास।
जिंदगी के वीरान पहरों में एक खामोश पदचाप चुपके से आवाज देती है!
क्या है उस आमंत्रण में, शायद जीवन का कोई गहन अर्थ,कोई मर्म,एक जानी-अनजानी सी झलक,एक धुंधली सी परछाई।
आखिर किसने पुकारा है मुझे?
कौन है वह? ओह!
एक रूह,
हजार एहसास, अनगिनत लम्हें और एक अदना सा ख्याल!
टूटती है नींद और स्मृतियों के घाट से फिसल पड़ती है मेरी संवेदनाएं,
तड़क जाता है एकांत का आईना, एकाएक रोशनी की लौ से।©
[ ●कवयित्री सरस्वती धानेश्वर, विश्व शांति समिति भारत की निदेशक हैं. ]
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