■’कोशिश’ स्तम्भ : श्याम निर्मोही [ बीकानेर राजस्थान ]
1. पिता शब्द की परिभाषा
तब
समझ
नहीं पाया था
वो सख़्त स्वभाव
वो आपकी बाहरी कठोरता
और
आपका वो लहज़ा
हमेशा कानों को कर्कश ही लगा ।
जिसे सुनकर कभी-कभी तो सहम जाता था ।
परंतु
मैं कभी
देख नहीं पाया
आपकी आंखों में
छुपी हुई पिता की वो ख्वाहिशें !
मैं कभी
पढ़ नहीं पाया
भीतर की वो कोमलता
वो नरमी, वो अथाह लाड-प्यार
वो अलिखित क़िताब की भाषा
नहीं, समझ पाया था, पिता शब्द की परिभाषा…..
असार
लगने वाला
जीवन का वो सार
अब समझ में आने लगा है ।
पिता शब्द की परिभाषा अब समझने लगा हूॅं ।
क्योंकि
अब मैं ख़ुद भी एक पिता बन गया हूॅं ।
2. सृजन की फ़सल
कविता
कोई घास-पात
खरपतवार नहीं है
जो पानी बिन पानी
मौसम बिन मौसम के भी
उग आएगी ऊसर भूमि पर….
कृषक
फसल बोने से पहले
जूझता है लड़ता है तपता है
सूरज की तीखी धूप की तपन को
अपने श्रम-बिन्दुओं से शीतल करता है
तब जाकर के कुछ बीज अंकुरित होते हैं……
ऐसे ही
अन्त:स्थल की
उर्वर भावभूमि में
दबे पड़े हैं असंख्य बीज
जो अनुभूतियों से सींचित होकर
यदा-कदा सृजन के रूप में लहक उठते हैं…
3. समय का अभाव
मेरे
मित्र ने कहा-
“मिलते ही नहीं,
कहाॅं हो, आजकल ?”
नज़र ही नहीं आते हो
न धूप में , न छांव में,
न तुम ,न तुम्हारी छाया ।
मैंने कहा-
“समय का
अति अभाव है,
इच्छाओं का भारी दबाव है ।
शमित इच्छाएं जाग पड़ी है,
समय के पीछे भाग पड़ी है ।”
[ ●श्याम निर्मोही की कविता ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ में पहली बार प्रकाशित की जा रही है. ●देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में श्याम निर्मोही की रचनाएं प्रकाशित निरन्तर होते रहती है. ●आकाशवाणी प्रसार भारती केंद्र बीकानेर से साहित्यिक वार्ताओं का प्रसारण. ●कई प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं, श्याम निर्मोही जी. ●प्रकाशित पुस्तक- 1.श्री हणुत अमृतवाणी 2.सुलगते शब्द [काव्य संकलन] 3.सूरजपाल चौहान की प्रतिनिधि कहानियां.
■कवि संपर्क- 82332 09330 ]
■■■ ■■■