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■छत्तीसगढ़ ■भिलाई नगरनिगम चुनाव
■पार्षद बनने की होड़
■विधानसभा टिकट की दावेदारी करने वाले दिग्गज भी पार्षद बनकर महापौर बनने में जुटे.
■महापौर निर्वाचित पार्षदों की बहुमत से चुना जाएगा.
●रिपोर्ट,शमशीर शिवानी.
छत्तीसगढ़ । भिलाईनगर । दो विधासभा क्षेत्र में समाहित भिलाई नगर निगम में पार्षद बनने की तैयारी में कल तक विधानसभा टिकट की दावेदारी करने वाले दिग्गज नेता भी जुट गए हैं। निकाय चुनाव का तरीका बदलने से भिलाई शहर की राजनीति में यह बदलाव अभी से दिखने लगा है। चुनाव की घोषणा होते ही कांग्रेस और भाजपा से कुछ चौकााने वाले नाम पार्षद पद के लिए सामने आ सकते हैं।
नगर निगम भिलाई के चुनाव की प्रशासनिक प्रक्रिया योजनाबद्ध तरीके से चल रही है। इस बीच दो मार्च को पूरे 70 वार्डों का आरक्षण स्पष्ट हो जाने के बाद कांग्रेस और भाजपा से पार्षद बनने की चाह रखने वाले नेताओं ने अपने लिए अनुकूल वार्ड चिन्हित करते हुए चुनावी संभावना तलाशनी शरू कर दी है। चौकाने वाली खबर यह है कि इस बार दोनों ही प्रमुख राजनीतिक पार्टी से कुछ ऐसे नाम की चर्चा सरगर्म हो उठी है, जो कभी विधानसभा टिकट प्राप्त करने की कोशिश में लगे रहते थे। ऐसे नेता अब पार्षद बनकर महापौर की कुर्सी पर काबिज होने का मन बनाकर चिन्हित वार्डो में अपनी राजनीतिक जमीन को उर्वरा बनाने की कोशिश में कोई कसर छोड़ नहीं रहे हैं।
दरअसल यह पहला अवसर है, जब भिलाई नगर निगम का महापौर निर्वाचित पार्षदों की बहुमत से चनाव जाएगा। इससे पहले के चार चुनाव में महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान प्रणाली से होता रहा है। इस प्रणाली को प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद बदल दिया गया है। रायपुर-दुर्ग सहित प्रदेश के और भी ज्यादातर निकायों में बदली गई प्रणाली के अनुसार चुनव हो चुका है और महापौर अथवा अध्यक्ष का चयन पार्षदों के बहुमत से किया गया। भिलाई के लिए इस प्रणाली से चुनाव कराये जाने का यह पहला अवसर है। लिहाजा पूर्व में हो चुके चुनाव में विधायक व महापौर पद के दावेदार रहे कांग्रेस व भाजपा के कई नेता अब पार्षद बनने की तैयारी में जुट गए हैं। गौरतलब रहे कि भिलाई निगम के महापौर का पद आसन्न चुनाव के लिए अनारक्षित रखा गया है। वर्ष 2015 के पिछले चुनाव में भी महापौर पद का आरक्षण अनारक्षित रहा था। अनारक्षित का मतलब सभी के लिए खुले मैदान रहना है। यही वजह है कि इस बार भिलाई महापौर पद पर लक्ष्य केन्द्रित कर अलग अलग जाति, धर्म और वर्ग से ताल्लुक रखने वाले दिग्गज नेता व नेत्रियां पार्षद चुनाव लडऩे का मन बना चुकी है।
दो विधानसभा में बिखरेगा जलवा
भिलाई नगर निगम के आने वाले महापौर को दो विधानसभा में जलवा बिखेरना का मौका मिलेगा। यही वजह है कि पूर्व में विधानसभा टिकट की दौड़ से बाहर हुए नेताओं को भिलाई महापैर का पद अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। कुछ नेताओं की सोंच महापौर बनने के बाद वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में टिकट की दावेदारी का मजबूत आधार मिलने की उम्मीद है। गत चुनाव में महापौर के बाद भिलाई नगर से विधायक बने देवेन्द्र यादव, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। विधायक देवेन्द्र यादव ने महापौर के रूप में ढाई विधानसभा का नेतृत्व किया। तब भिलाई नगर, वैशाली नगर का पूरा और दुर्ग ग्रामीण विधानसभा का आधा हिस्सा भिलाई निगम में समाहित था। अब दुर्ग ग्रामीण का भाग अलग करके रिसाली नगर निगम का गठन हो चुका है। बावजूद इसके भिलाई नगर व वैशाली नगर के रूप में दो संपूर्ण विधानसभा क्षेत्र शामिल रहने से भिलाई नगर निगम के भावी महापौर को अपनी राजनीतिक पहचान को विस्तृत करने में बेहतर और अनुकूल मंच मिल सकेगा।
[ ●शमशीर शिवानी, ब्यूरो प्रमुख,’छत्तीसगढ़ आसपास’. ●प्रिंट एवं वेबसाइट वेब पोर्टल, न्यूज़ ग्रुप समूह,रायपुर, छत्तीसगढ़. ]
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