लघुकथा 4 years ago ■साधो!!देखो जग बौराना... -विक्रम 'अपना' [ नन्दिनी अहिवारा-छत्तीसगढ़ ] निर्गुण निराकार, परमब्रम्ह एक बार अपने प्रिय भक्त कबीर का हाल जानने धरती पर आए। लोगों...
लघुकथा 4 years ago ■परिवार का हिस्सा -महेश राजा [ महासमुंद-छत्तीसगढ़ ] इस शहर में हाल ही में तबादला हुआ था।वे गेस्टहाउस में ठहरे हुए थे।रहने के लिये जगह...
लघुकथा 4 years ago ■आवारा कुत्ते -दिलशाद सैफी [ रायपुर-छत्तीसगढ़ ] मम्मा प्लीज़... थोड़ा जल्दी लंच बाक्स तैयार कर दो न कालेज को लेट हो जाऊँगी ...! ओ हो.....
अनुभव आसपास 4 years ago ■हमारा नज़रिया -तेज़राम शाक्य मैं और परिवार के सभी लोग बहुत खुश थे। उस समय नवरात्रि का समय था हम लोगों ने वास्तव में कार...
लघुकथा 4 years ago ■लाठी - महेश राजा [ महासमुंद, छत्तीसगढ़ ] बेटे ने आकर पिता के चरण-स्पर्श किये। पिता ने ढेर सारे आशीर्वाद दिये। बेटा बोला-"बापु मैं कभी...
अनुभव आसपास 4 years ago ■प्रेम का जादू - तेज़राम शाक्य मेरी मां को आइसक्रीम, दही और गुलाब जामुन बहुत पसंद थे। मैं जब कभी उनकी यह पसंद का तोहफा...
लघुकथा 4 years ago ■बैरंग लिफाफा -विक्रम 'अपना' पोस्टमैन!! डाकिया बाबू, खुद से ही खुद का नाम उचारते हुए दरवाजे पर खड़े थे। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस...
लघुकथा 4 years ago ■नज़रिया -महेश राजा [ महासमुंद, छत्तीसगढ़ ] कैन्टीन मे एक पुराने मित्र से मुलाक़ात हो गयी।साथ साथ चाय पी।पुरानी यादे ताजा हो गयी।पडोस के ही...
लघु व्यंग्य कथा 4 years ago ■आस्थावान लोग -मिर्ज़ा हफीज़ बेग उस गांव के लोग बड़े आस्थावान थे। आस-पास के बीस-बीस गांव में वे सम्मान की दॄष्टि से देखे जाते। उन्ही...
लघुकथा 4 years ago ■संबंधों के बसंत -महेश राजा [ महासमुंद, छत्तीसगढ़ ] बसंत अंक के लिये कुछ लिखने के लिये भेजने के लिये संपादक महोदय का आग्रह था।मैं...