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■छतीसगढ़ी ग़ज़ल : डॉ. बलदाऊ राम साहू.
3 years ago
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■राख नहीं अंगारा बन
■झन तैं कभू बिचारा बन
-डॉ. बलदाऊ राम साहू
[ आदर्श नगर,दुर्ग,छत्तीसगढ़ ]
राख नहीं अंगारा बन
झन तैं कभू बिचारा बन।
गिरे – परे मनखे मन बर
अब तैं जबर सहारा बन।
टार दे जिनगी अँधियारी
जग बर तैं उजियारा बन।
नदिया-नरवा झन बन जी
पबरित अमृत-धारा बन।
मझधार म जउन फँसे हे
उनकर बर किनारा बन।
देश हमर बर के रुख हे
एकठन तँहू डारा बन।
जम्मो धरती तोरे बर हे
झन ककरो अधियारा बन।
का राखे, भोग-विलास म
तपसी बन, ध्रुव तारा बन।
‘बरस’ कहत हे सोझे जी
तैं जगत ले नियारा बन।
■कवि संपर्क-
■94076 50458
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