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दुर्ग : राष्ट्रीय कवि संगम की भव्य काव्य गोष्ठी में डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा – वैदिक साहित्य के बिना भारत की कल्पना भी असंभव
दुर्ग [रिपोर्ट डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘ सब्र ‘ ] : भारतीय साहित्य में पर्यावरण संरक्षण और रामकाव्य से प्रेरित कवितायें देशभक्ति की भावनाओं से ओत-प्रोत हैं।राष्ट्रीय कवि संगम की दुर्ग जिला ईकाई-राष्ट्र जागरण के अपने धर्म के प्रति समर्पित है। देश के स्वर्णिम इतिहास और स्वर्णिम भविष्य, अखण्ड भारत में सिक्खों के योगदान, जनसंख्या नियंत्रण और समान नागरिक संहिता पर पैंतीस से अधिक कवियों ने श्रेष्ठतम कवितायें प्रस्तुत कीं।
मुझे सुनकर हार्दिक प्रसन्नता हुई।इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव हम मना रहे हैं।स्वाधीनता दिवस, सप्ताह, पखवाड़े, और माह का माहौल भी है।” ये उद्गार हैं साहित्य-संस्कृति मर्मज्ञ और शिक्षाविद् आचार्य डाँ महेश चन्द्र शर्मा के। साहित्य और संस्कृति को लेकर देश-विदेश के अनेक सफल भ्रमण कर चुके आचार्य डाँ.शर्मा राष्ट्रीय कवि संगम की दुर्ग जिला ईकाई द्वारा आयोजित भव्य काव्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि की आसन्दी से बड़ी संख्या में उपस्थित कवियों और साहित्यप्रेमियों की विशाल सभा को संबोधित कर रहे थे।मीनाक्षी नगर दुर्ग के श्रीकेसरीनंदन हनुमान मंदिर में उक्त गोष्ठी में आचार्य डाँ.महेश चन्द्र शर्मा ने वाल्मीकि,तुलसीदास, मैथिलीशरण गुप्त,रामधारी सिंह दिनकर एवं हरिऔध जी के काव्यों से देशभक्ति और चरित्र निर्माण के अनेक उदाहरण दिये। उन्होंने बताया कि विश्व प्रसिद्ध देशभक्ति प्रेरक पद्यांश जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी रामायण में श्रीराम जी ने ही घोषित किया है।ज्ञान-विज्ञान के हर क्षेत्र में भारतवर्ष जगद्गुरु रहा है।वैदिक साहित्य के बिना हिन्दुस्तान की कल्पना असंभव है।आचार्य डाँ. शर्मा ने समिति के अध्यक्ष एवं कवि नरेन्द्र देवाँगन” देव” को अपनी दसवीं पुस्तक गागर में सागर भी भेंट की। इस पुस्तक में उपर्युक्त सभी तथ्यों की प्रामाणिक जानकारी है।
•डॉ.महेश चंद्र शर्मा का स्वागत करते हुए नरेंद्र देवांगन ‘ देव ‘
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार श्री प्रदीप वर्मा ने समान नागरिक संहिता पर अपनी बात कहते हुए कहा कि संविधान अनुच्छेदों से भरा पड़ा है जिसमें पुनर्विचार की आवश्यकता है। जब हम मौलिक अधिकारों की बात करें तब अपने कर्तव्यों को भी याद करें एवं पालन करें।
विशिष्ट अतिथि श्री किशोर तिवारी प्रांतीय सलाहकार राष्ट्रीय कवि संगम छ.ग. ने कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम, राष्ट्रीय भाव बोध की कविता का मंच है,जो कि लक्ष्य प्रेरित है।तिवारी जी ने आगे बताया कि भगवान राम के द्वारा वनवास काल में कोल,भील, वनवासी आदि लोगों से वापसी पर पुनः मुलाकात का वादा किया गया था जिसे परिस्थितिवश नहीं निभा पाया। हमारे राष्ट्रीय कवि संगम के कर्णधारों द्वारा इस पर विचार कर लंका से अयोध्या तक 249 स्थानों को चिन्हांकित कर,जहाँ से होकर भगवान गये थे,कवियों द्वारा कवि सम्मेलन के माध्यम से मुलाकात करते हुए “राष्ट्र जागरण-धर्म हमारा” का अलख जगाते अयोध्या वापस आये।और तब से राष्ट्रीय कवि संगम अपने उद्देश्य को निरंतर सार्थक कर रहा है।
संचालन करते हुए समिति अध्यक्ष नरेन्द्र देवाँगन ” देव” ने कहा कि राष्ट्रीय कवि संगम एक ऐसा संगठन है जिसका उद्देश्य देश के नवोदित कवियों, कवियित्रियों, गीतकारों, गजलकारों की काव्य प्रतिभा को निखारकर मुख्य धारा की कवियों में शामिल करना है। 28,29 अक्टूबर 2023 को अयोध्या में राष्ट्रीय स्तर का महाकविसम्मेलन होना है जिसमें प्रत्येक जिले से चयनित होकर एक कवि प्रांत में जायेंगे और प्रांत से चयनित होकर राष्ट्रीय स्तर पर काव्य पाठ करने का अवसर प्राप्त होगा।यह काव्य गोष्ठी इसी कड़ी का प्रारंभिक चरण है।
कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की पूजा अर्चना एवं समिति की सदस्य डाँ. श्रीमती बीनासिंह रागी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई।
गोष्ठी में लगभग 35 कवियों द्वारा काव्य पाठ किया गया जिसमें सर्वश्री किशोर तिवारी, नरेन्द्र देवाँगन, अनूप दुबे, दिनेश गुप्ता, श्रीमती नीलम जायसवाल,रामदेव शर्मा, गिरीश द्विवेदी, ओमवीर करण,श्रीमती मालासिंग,शारदा प्रसाद पाण्डेय, घनश्याम सोनी,नौशाद सिद्धकी,श्रीमती आशा झा,अशोक ठाकुर, डाँ.श्रीमती बीनासिंह रागी, श्रीमती मंजूलता शुक्ला, टी.आर.कोसरिया अलकरहा, शत्रुंजय तिवारी, श्री मती संध्या जैन, डाँ.श्रीमती गुंजलता साहा,गोपाल शर्मा, बैकुण्ठ महानंद, रामबरन कोरी,शिवमंगल सिंह,हाजी गौहरजी, नावेद रजा,बलदाऊ रा साहू,भगवती चरण यदु, आदि थे।
कार्यक्रम की सफलता में मंदिर संरक्षक श्री बी.के.वर्मा, गजानंद वर्मा, मेघनाद वर्मा, संदीप चौरसिया, मंदिर संचालन समिति, समर्पण महिला मानस मंडली तथा मीनाक्षी नर निवासियों का विशेष योगदान रहा।
•उपस्थित रचनाकार
संचालन राष्ट्रीय कवि संगम दुर्ग के अध्यक्ष नरेंद्र देवांगन ‘ देव ‘ और आभार व्यक्त समिति के महासचिव अनूप दुबे ने किया.
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