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मुशायरा और कवि सम्मेलन : गंगा जमुनी तहज़ीब और अमनों अमान को लेकर ‘फ़राज़ एकेडमी’ में हुआ मुशायरा : गीत, ग़ज़ल, कविता और मुक्तकतों से श्रोता हुए मंत्रमुग्ध
‘छत्तीसगढ़ आसपास’
जिगर मुरादाबादी की सर जमीन से लगे पीपलसाना में फराज एकेडमी पर गंगा जमुनी तहजीब पर आधारित एक बेहतरीन मुशायरा और कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुल्क के मौजूदा हालात और अमनो अमान की दुआ करते हुए अनेक शोरा हजरात और कवियों ने श्रोताओं को अपनी गीत ,ग़ज़लों , कविताओं और मुक्तकतों से मंत्रमुग्ध कर दिया ।
कार्यक्रम की शुरुआत नातिया कलाम से फरहत अली फरहत ने शुरू की सत्यवती सिंह सत्या ने सरस्वती वंदना कर शुरुआत की शमा रोशन कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बरेली के मशहूर शायर विनय सागर जायसवाल, विशिष्ट अतिथि सत्यवती सत्या, अब्दुल हमीद बिस्मिल, गज़ल राज, देश के मशहूर शायर सरफराज हुसैन फ़राज़, शैलेन्द्र सागर, अमर सिंह बिसेन, दीपक मुखर्जी, राम प्रकाश सिंह ओज, रामकुमार अफ़रोज़, राम स्वरूप मौज , एडवोकेट तंजीम शास्त्री, तहसीन मुरादाबादी, शायर मुरादाबादी, दावर मुरादाबादी, नसीम अख्तर भोजपुरी, डॉक्टर आज़म बुराक, जीशान राही, सैफ उर रहमान यूनुस, नफीस पाशा “साहब” मुरादाबादी ने की ।
इस अवसर पर फरहत अली फरहत ने पढ़ा के
खुदा का लेके जो आए पयाम दुनिया में
इन्हीं के बनके रहे हम गुलाम दुनिया में
विनय साग़र जायसवाल जी ने कहा कि
मेरे कदम जो रोके हवाओं में दम नहीं
मैं घर से आज निकला हूं मां की दुआ के साथ
अरुण कुमार गाजियाबादी ने कहा कि
मां को बारिश में छाता थमाया तो वो
सारा मेरी तरफ ही झुकती रही
सरफ़रज़ हुसैन फ़राज़ ने अपनी मन की बात को इस तरह बयां किया
या खुदा महफूज रखना आशियाने को मेरे
वो गिराते फिर रहे हैं शहर भर में बिजलियां
दीपक बनर्जी ने व्यंग करते हुए कहा कि
फिर आएंगे खाकी वाले भैय्या
शुभम मेमोरियल साहित्यिक सामाजिक जन कल्याण समिति बरेली की अध्यक्ष सत्यवती सिंह सत्या ने कहा की
जो भी होना है आम हो जाए
अब तो किस्सा तमाम हो जाए
नफ़ीस पाशा साहब मुरादाबादी ने अपना कलाम कुछ इस तरह सुनाया कि महफिल लूट ली
बड़े ग़म हैं ज़िंदगी में उन्हें कैसे हम छिपाएं
सभी लोग कह रहे हैं कोई दास्तां सुनाएं
मैं हूं खुश नसीब साहब न मुझे हरा सकोगे
मेरी माँ की मेरे यारो मेरे पास हैं दुआएं
फरहत अली फरहत ने गज़ल इस तरह बयां की
बहुत हो चुका जुल्म दुनिया में आखिर
हमें चाहिए अब सखावत की दुनिया
राम प्रकाश सिंह ओज बरेलवी ने कहा कि
सबके ही दुख दर्द में मुझे बहना पसंद है
कड़वे नहीं बोल मीठे कहना पसंद है
सैफ उर रहमान यूनुस ने कहा कि
तंजीम शास्त्री बरेलवी ने कहा कि प्यार की ज्योति जलाएं हम मुहब्बत के फूलों को महकाएं हम
अमर सिंह बिसेन गोंडवी ने कहा कि
लज्जा को तो ढक सकने में असफल झीना आंचल
तहसीन मुरादाबादी ने कहा
पहाड़े को मैं उल्टा पढ़ रहा हूं
मैं छोटा हूं मेरा बेटा बड़ा है
रामकुमार अफ़रोज़ बरेलवी ने कहा कि
आदमियत के विषय में बोलने से पेशतर
आदमी को दर्द का अहसास होना चाहिए
राम स्वरूप मौज बरेलवी ने कहा कि
होता नहीं खराब है दुनिया का हर बशर
मिलकर ज़रा खुद ही से जरा बात कीजिए
शैलेश सागर बरेलवी ने कहा कि
नाम रक्खा था सागर बड़े शोक से
चुल्लू भर पानी सी आज औकात है
नसीम अख्तर भोजपुरी ने पढ़ा
रहे वफ़ा में जो धोखे हजार देता है
ख्याल उसका ही दिल को क़रार देता है
शायर मुरादाबादी ने कहा कि
उल्टे सीधे पड़े हैं पाँव मेरे
ज़ख्म देते हैं अब खड़ाऊं मेरे
गज़ल राज बरेलवी ने कुछ इस तरह मां की मुहब्बत को बयां की
कष्टों को सहकर सुख देती है
मां तो केवल मां होती है
डॉक्टर आज़म बुराक पीपलसाना ने कहा कि
नामे वफ़ा को दिल से जो तुमने मिटा दिया
मिट्टी में हसरतों को हमारी मिला दिया
जीशान राही मीरगंजवी ने कहा कि
जो दुश्मन जान के निकले मेरी पहचान के निकले
सैफ उर रहमान ने कहा कि
ऐसा लगता नहीं इलहाम से आए हुए हैं
शेर ये उतरे नहीं खुद से उतारे हुए हैं
डावर
अंदर अंदर टूट रहा हूं टुकड़े टुकड़े बिखरा हूं
क्रिची क्रिचि अक्स तुम्हारा फिर भी तन्हा तन्हा हूं
अब्दुल हमीद बिस्मिल ने देश की एकता का संदेश देते हुए अपने गीत मादरे वतन में कहा की
हो न जाएं ये परिंदें बेवतन
जल न जाएं मौसम ए गुल में चमन
इस अवसर पर शायर तहसीन मुरादाबादी के गज़ल संग्रह ‘पाठशाला’ का लोकार्पण किया गया.
मुशायरा और कवि सम्ममेलन की निजामत शायर सरफराज हुसैन फ़राज़ ने की.
[ • रपट, डॉ. नौशाद अहमद सिद्दीकी ‘सब्र’ ]
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