






इस फल को खाइए और भूलने की बीमारी को कह दीजिए हमेशा के लिए अलविदा, शोध में हुआ खुलासा.
भूलने की बीमारी अल्जाइमर और डिमेंशिया को अब तक बुजुर्गों की बीमारी समझा जाता था लेकिन अब यह युवाओं को भी हो रही है। इस बीमारी से जुड़े इस तरह के कई और मिथक भी हैं जिनकी हकीकत के बारे में आज हम आपको बता रहे हैं। यहां जानें।
अल्जाइमर एक मानसिक बीमारी है, जो धीरे-धीरे पनपती है। इसकी शुरूआत ब्रेन के स्मरणशक्ति को नियंत्रित करने वाले पार्ट से होती है और फिर धीरे-धीरे यह ब्रेन के दूसरे हिस्सों में भी फैल जाती है। यह एक तरह की भूलने की बीमारी है। हर किसी की इसके बारे में अपनी एक सोच है, लेकिन इससे जुड़े मिथक क्या हैं और सच क्या, जानिए इसके बारे में,
बता दें कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाए जाने वाले करीब 30 प्रकार के फलों में से छह में गुणकारी तत्व मिले हैं। ये हैं पीपल (फाइकस रिलिजियोसा) का फल, कसही (ब्राइडेलिया रिट्युसा), तेंदु (डायोस्पाइरास मेलेनोजाइलोन), कदंब (नियोलैर्मािकया कदंबा), छिन (फिनिक्स सिल्वेस्ट्रिक्स) और भेलवा (सेमेकार्पस एनार्कािडयम)। इनके अलावा अमरूद, जामुन, बेर, बेल, इमली, महुआ आदि फलों के रसों में भी सूक्ष्म उपयोगी गुण मिले हैं।
रिसर्च से पता चला है कि जंगली फलों को आहार में शामिल करके न्यूरो ट्रांसमीटर को सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे भूलने की बीमारी यानी अल्जाइमर की समस्या आदमी के नजदीक भी नहीं आएगी।
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