






कवि और कविता : तेज नारायण राय [ दुमका झारखंड ]

कविता – 1
फूलो झानो
सिद्धू कान्हू की बहना फूलो झानो
जब अंग्रेज सिपाहियांे से लोहा लेने
हाथ में कुल्हाड़ी लेकर निकली
तब अंग्रेजों की सेना काँप उठी
काँप उठे जंगल झाड़ी
और देखते ही देखते बदल गयी
जंगल की हवा
साल से लेकर पलाश के पेड़ भी
उठ खड़े हुए उसके साथ उसकी रक्षा में
पहाड़ों ने भी तान दिया अपना सीना
धरती ने भी फैला दिया अपना आँचल
हाथ में कुल्हाड़ी
और आँखों में अंगार लिये
जब निकली घर से कमर कसकर
तब डोलने लगा
ब्रिटिश शासन का सिंहासन
सन् अठारह सौ पचपन में
शोषण और अत्याचार के खिलाफ
जब हुँकार उठी दोनों बहने
तब जाग उठा आदिवासी समाज
जाग उठी आदिवासी महिलाएँ
फेक कलाई की चुड़ियाँ
तोड़ पाँव की बेड़ियाँ
जब निकली घर से
थाम कर तीर कमान
तब अंग्रेजों की सेना
भाग खड़ी हुई लेकर अपनी जान
ऐसी वीरांगना फूलो झानो
की गौरव गाथा का हम गुणगान करते हैं
आदिवासी समाज का सम्मान करते हैं।
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कविता – 2
मेघ भले ही रंग के काले हैं
मेघ भले ही होते रंग के काले हैं।
पर दिल के होते भोले भाले हैं।
बंूद-बूंद धरा पर गिरा जाते जब
मोतियों जैसे कीमती पावस पानी।
तब धरती की अंगड़ाई है लिखती
जीवन जगत रस-भरी कहानी।
उमड़-घुमड़ कर जब ये बादल
ले आता भर-भर सागर का जल।
तब धरती से अम्बर तक
चलता है जीवन चक्र चला-चल
धरती की सौगंध है इनको
प्यास धरा की देखी नहीं जाती।
पेड़ों की पत्तियाँ हो या कलियाँ
देख इनको सब पुलकित हो जाती।
कभी-कभी जोरों की गर्जन करते जरूर
पर देवतुल्य है ये, नहीं रखते मन में गुरुर।
इनका तो सागर से नाता है
नदी नाले हो या पहाड़ सब कुछ इनको भाता है।
ऐसे देवतुल्य बादल का सम्मान करो
यह बादल होते बड़े निराले हैं।
भले ही रंग के होते यह काले हैं
पर दिल के होते भोले भाले हैं।
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पता-
तेज नारायण राय
ग्राम- कोल्होडिया, पोस्ट- भैरो पुर, पंचायत- चिकनिहाँ, प्रखंड- जामा, जिला- दुमका, झारखंड
संपर्क-
62075 86995
chhattisgarhaaspaas
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