कविता आसपास : बांग्ला कवि पं. बासुदेव भट्टाचार्य : बांग्ला से हिंदी अनुवाद कवि गोविंद पाल
👉 पं.बासुदेव भट्टाचार्य
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माँ को बेटी का तसल्ली
मैं काली हूँ कौन मुझसे शादी करेगा!
इतना फिक्र है तो मुझे बचपन ही
क्यो नहीं मार डाली मां?
अगर मैं अभी खुदकुशी कर लूं
तू तो दहाड़े मार मार कर रोयेगी!
फिर तेरा देखभाल कौन करेगा?
आस पास तो रिश्तेदार भी तो कोई नहीं है
भाई है वो भी तो तुझे पूछता भी नहीं है
जेठ और देवर तो तेरा मुंह भी
देखना नहीं चाहते हैं
इससे अच्छा एक बात कहती हूँ मां!
मैं काली हूँ कहके मेरी शादी का
फिक्र क्यों कर रही है?
मैं ट्यूशन पढ़ाकर गुजारा कर लूंगी
तेरा भी सेवा करुंगी
किसीको कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
आंख दिखाने वालों को
आंखे निकाल लूंगी
हाथ बढ़ाने वालों का हाथ तोड़ दूंगी
सब याद रखेंगे।
आजा हम दोनों मिलकर खाना पकाते हैं
और मजे ले लेकर खाते हैं
दामाद दामाद मत कर!
जो आना होगा वो ठीक ही आयेगा,
सात पांच मत सोच मां!
मैं तो तेरी अच्छी लड़की हूँ मां
कोई अच्छा सा लड़का एकदिन
जरुर मुझे ब्याह कर ले जायेगा,
समाज कितना भी बुरा क्यों न हो
अच्छे का कद्र हमेशा होती है
ज्यादा फिक्र मत कर
ओ मेरी अच्छी मां!
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