कविता आसपास : विद्या गुप्ता
• बॉस का बच्चा
– विद्या गुप्ता
[ दुर्ग : छत्तीसगढ़ ]
बहुत सुंदर,
बहुत प्यारा नाम है आपका…..!
फिसलते चिकने शब्दों में
सहलाते हो तुम
रिंकी चिंकी टिंकू टिनी जैसे
निरर्थक नाम को और
मजबूत करते हो
संबंधों की जमीन
गर्व से मुस्कुराती है
बॉस की बीवी
जिद्दी उद्दंड बच्चा
तोड़ देता है गुलदान
फाड़ देता है मस्ती में
ऑफिस की फाइल
उमेड़ता है बार-बार
टी.वी. ऐ.सी. के स्विच
बहुत शरारती है
हंसती है बॉस की बीवी
पर्दे के पीछे खड़ा तुम्हारा बच्चा
देखता है आश्चर्य से
गुलदान के टुकड़े
फाइल के फटे कागज और
पापा का हंसना…..!!
टीवी स्विच की कट कट सुन
कहता है, “अब बहुत मारेंगे पापा”
मगर नहीं होता है कुछ ऐसा
“वेरी एक्टिव एंड स्मार्ट” कहते
सहलाते हो तुम
बड़ी हस्ती के कदम
निगल कर
गले में जमी हुई जकड़न
बीच से ही
लौटा देते हो शब्द
“अरे खेलने दीजिए, बच्चा ही तो है
तुम्हारे शब्द छीलते हैं तुम्हें
धुएं से भर जाता है
तुम्हारा बच्चा और
प्रतिक्रिया को अर्थ देता
तोड़ देता है गिलास
टूटता है तुम्हारे सब्र का बांध
पीट कर अपने बच्चों को
जख्मी हो जाते हो स्वयं
तुम्हारा बेटा
समझ नहीं पाता
क्यों उबल पड़े हो तुम
क्यों हुआ सहसा
अभी-अभी परिवर्तन
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