■75 भारत महोत्सव पर विशेष : ■कामिनी व्यास रावल.
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●ग़ज़ल.
-कामिनी व्यास रावल.
[ उदयपुर-राजस्थान ]
बहुत खूबसूरत हमारा वतन
हमें जान से भी है प्यारा वतन
हमें याद रखनी शहादत सभी
लहू दे के सबने सँवारा वतन
नज़र कोई बद डाल सकता नहीं
है आँखों का सबकी ये तारा वतन
सभी मज़हबों को यहाँ चैन है
जगत भर में है अपना न्यारा वतन
है ख़्वाहिश हमारी यही इक ख़ुदा
मिले यह ही हमको दुबारा वतन
करूँ शीश अर्पण मैं अपना सदा
करे जब भी मुझको इशारा वतन
खिलें फूल कलियाँ ही चारों तरफ़
हो तेरा हसीं हर नजारा वतन
धरा राम की है कहे कामिनी
बने राम मय ही ये सारा वतन
●कवयित्री संपर्क-
●95713 06632
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