■कविता आसपास. ■सुधा वर्मा.
3 years ago
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♀ आभार है मां तेरा
♀ सुधा वर्मा
माँ आभार है तेरा
मुझे दिया जन्म तूने
अपना दूध पिला
दुनिया से लड़ने के लिये बनाया तूने।
प्रकृति आभार है तेरा
तूने मेरे जीवन मे
बेहतरीन रंगो को भरा
मेरे विचारों में
जीवन के तरंगो को भरा।
आभार है उस पंछी का
जिसने मुझे हवा में
उड़ना सीखाया
एक एक दानों को
सहेजने का सलीका सीखाया।
आभार है उस नदी का
जिसने मुझे सबको
अपने में समाहित कर
बहना सीखाया।
आभार है उस बया के घोसले का
जिसने मुझे जीवन के
ताने बाने बुनना और
करीने से सजाना सीखाया।
आभार है उस हवा का
जीवन से जिसने लड़ना सीखाया
जीवन की गति को
संतुलित करना सीखया।
आभार है उस गुरु का
जिसने मुझे दिया अक्षर ज्ञान
सीखाया मुझे खेल गणित का
और पढ़ाया विज्ञान।
जीवन में सब कुछ पाकर
खुशियों को सबको बांट कर
खुशहाल जीवन के लिये
“आभार” है माँ और प्रकृति का।
सुधा वर्मा, रायपुर, छत्तीसगढ़
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chhattisgarhaaspaas
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