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- ■आंचलिक : नगर पंचायत उतई,जिला-दुर्ग.
■आंचलिक : नगर पंचायत उतई,जिला-दुर्ग.
■शासकीय जमीनों पर हो रहा कब्ज़ा-निकाय अधिकारी मौन-निजी जमीनों को शासकीय बताकर कर रहे नोटिस जारी.
■निकाय की वसूली-निकाय की आय की आड़,शासकीय भूमि पर हो रहे कब्जों को रोकने में अधिकारियों की कोई रुचि नहीं.
■खबर प्रेषित सतीश पारख-
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा की एक मात्र नगर पंचायत उतई के अधिकारियों कर्मचारियों व जन प्रतिनिधियों की कार्यशैली पर लगातार उंगली उठ रही है ।जिसका मुख्य कारण है की बिना जानकारी लिए कुछ जनप्रतिंधियों के इशारों पर नियम कानून को ताक पर रख बिना सच्चाई जाने जानकारी लिए मनमानी तरीके से लोगों को नोटिस जारी करना। नियमानुसार किसी भी निर्माण पर नोटिस जारी करने के पूर्व मौके पर जाकर उसकी सच्चाई व जानकारी ली जानी चाहिए तथा वास्तविकता जानने पटवारी से जानकारी ली जानी चाहिए।किंतु यहां सब कुछ उल्टा पुल्टा ही है की जो हो रहा इशारों इशारों पर करने अधिकारी उतारू हैं।
नगर पंचायत के अधिकारियों को छोटे से नगर पंचायत में यह जानकारी भी नही की कहां कितनी शासकीय भूमि खाली है जिसे सुरक्षित किया जाय।लिखित आवेदन के बाद भी निकाय अधिकारी शासकीय भूमि को बचाने या सुरक्षित रखने में रुचि नहीं दिखाते और नोटिस जारी कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं।जिसके चलते पुराने कब्जे तो हैं ही नए कब्जों की भी बाढ़ आन पड़ी है जिसे रोकने में असफल साबित हुवे हैं।वही दूसरी ओर किसी की निजी जमीन को शासकीय बताकर नोटिस जारी कर उन्हे परेशान करने में ये बाज नहीं आ रहे।आखिर इसके पीछे इनका क्या खेल है यह पर्दें के पीछे है जिसे जानना व समझना जरूरी हैं।
शासकीय मदों से हो रहे विकास के अतिरिक्त अधिकारियों का ना ही वसूली में इंट्रेस्ट है ना ही स्थाई इंकम बढ़ाने में रुचि।शायद इन्होंने मानसिकता पाल ली है की हमे तो शासन से तनख्वाह मिलनी ही है ।चाहे कुछ करें या कार्यालय में बैठकर समय काटें।
आखिर ऐसे में कैसे चलेगा।कार्यालयों में बैठने से नही जनता के बीच पहुंचने से मिलेगा जनता को शासन की योजनाओं का लाभ।नोटिस भेजकर चुप बैठ जाने से ना वसुली होगी ना कब्जे रुकेंगे उसके लिए मैदान में आने व कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता है।किन्तु ना जाने रुचि नही या कोई राजनीतिक दबाव की अधिकारी इस और कोई पहल करते नजर नही आते।
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