■26 जनवरी आगमन पर विशेष : केवरा यदु ‘मीरा’.
3 years ago
298
0
♀ चौपाई छंद
♀ केवरा यदु ‘मीरा’
【 राजिम-छत्तीसगढ़ 】
लक्ष्मी बाई तो रानी थी।
रण बीच दुर्गा भवानी थी।
वह लक्ष्मी थी वह काली थी।
दुश्मन संहारने वाली थी।
नाना के सँग वह खेली थी।
बरछी तलवार सहेली थी।
नाना बहना मुँह बोली थी।
वह तो संतान अकेली थी।।
वह दुर्गा की अवतारी थी।
दुश्मन से कब वह हारी थी।
वह अरिन घेरने वारी थी।
पर काल गतिन की मारी थी।।
अब वीरता की सगाई थी ।
झाँसी रानी बन आई थी।
खुशियों की बजी बधाई थी ।
महलन उजियारी छाई थी।।
पति छोड़ के स्वर्ग सिधारे ।
रहती रानी मन को मारे।
ड़लहौजी मन तब हर्षाया
राज हड़पने अवसर पाया।।
झीन लिया दिल्ली रजधान।
लखनऊ छीनने को ठानी
व्यापारी बन भारत आया।
विनय सभी की है ठुकराया।
अपनी जान गँवा कर रानी।
वीर गती पाने को ठानी ।
नाम अमर है इतिहासों में ।
जानी जाती अब खासों में ।।
■कवयित्री संपर्क-
■93993 04136
■■■ ■■■