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- ■कंगला मांझी धाम की प्रसिद्धि में डॉ. परदेशीराम वर्मा का योगदान : डॉ. अशोक आकाश [बालोद-छत्तीसगढ़]
■कंगला मांझी धाम की प्रसिद्धि में डॉ. परदेशीराम वर्मा का योगदान : डॉ. अशोक आकाश [बालोद-छत्तीसगढ़]
सूरज उदित होने से पूर्व दुनिया को प्रकाशवान होने का संकेत दे देता है । लिपिबद्ध विचार जब समाज के सम्मुख आता है तब समाज की अंधी गलियों में नन्हे सूरज की ग्रीष्ममयी आभा नवऊर्जा संचार कर जन-जन में उत्सुकता जागृत कर देती है। जीवन के महासमर में तपकर ही तो व्यक्ति निखरता है । सामाजिक उपेक्षा, जीवन के घटनाक्रम, स्वार्थी लोगों कीचालबाजियां, कठिन जीवन सफर की भट्टी से तपकर निखरा परिपुष्ट विचार है जब लिपिबद्ध होता है तब अपनी दमक से दुनिया को चमत्कृत कर देता है, डॉ.परदेशी राम वर्मा ऐसे ही चमत्कारिक व्यक्तित्व हैं जो समय की भट्टी से दहककर दमकता साहित्यकार है ।
जो भी दिल से चाहो, भगवान मिला देता है।
तुम पसीना बहाओ वह फूल खिला देता है।
शब्दोंं ने गढ़ा वेद शब्दों से चुभे तीर,
शब्द में वो ताकत जो दुनिया हिला देता है।
छत्तीसगढ़ी हिंदी साहित्य के महासागर के अनमोल रत्नों में डॉ.परदेशी राम वर्मा का साहित्य नित नई आभा बिखेर कर अपनी मजबूत उपस्थिति का निरंतर आभाष करा रहे हैं। व्यक्ति समय के साथ विकास पथ में भटक कर अपना अस्तित्व खो देता है, विकास रथ के सारथी के रूप में खॉटी छत्तीसगढ़िया परिवेश को अपने साहित्य में उकेर कर उसे जनमानस में बिखेर रहे हैं । गद्य साहित्य के आधार स्तंभ के रूप में श्री वर्मा जी एक प्रभावशाली व्यक्तित्व है जिसे पढ़ना छत्तीसगढ़ी संस्कृति से परिचित होना है । छत्तीसगढ़ की कला साहित्य संस्कृति की जीवंत प्रतिमूर्ति उनके साहित्य में परिलक्षित है । छत्तीसगढ़ी लोकोक्तियों हाना मुहावरा उनके वाक्यों में साहित्यिक मोती की तरह सुशोभित होकर गद्य साहित्य गरिमा में वृद्धि करती है, उन्होंने उपन्यास कहानी जीवनी संस्मरण लेखन कर साहित्यकारों को मानवतावादी साहित्य लेखन हेतु प्रेरित किया । लेखकीय जीवन के साथ वर्मा जी सामाजिक एवं आध्यात्मिक कार्यों में अपनी सक्रिय सहभागिता देते हैं, माता कौशल्या गौरव अभियान समिति, अगासदिया एवं आगमन पत्रिका के निरंतर प्रकाशन के साथ सामाजिक राजनीतिक एवं व्यवसायिक सफल व्यक्तियों के जीवन पर लेखन एवं उनको समय-समय पर संस्थागत सम्मानित कर विभिन्न क्षेत्र के विशिष्ट शख्सियतों का सम्मान कर विशिष्ट सेवा कार्य करते रहने की प्रेरणा देते रहते हैं। कर्मठ साहित्यकार के रूप में आप की कलम निर्बाध चलती रहती है । सजग किसान की तरह आप लेखकीय बारीकियों को ध्यान में रखकर रोज चार-पांच घंटे साहित्य साधना में निमग्न रहते हैं । हर रोज 10 से 15 पृष्ठ साहित्य लेखन करने वाले छत्तीसगढ़ के एकमात्र ऐसे साहित्यकार के रूप में आपकी ख्याति हैं जिनकी पुस्तक बारहों महीने आकार लेकर जन जन तक पहुंच रही है।
■डॉ. परदेशीराम वर्मा
डॉ.परदेशी राम वर्मा जी से मैं अखबारों में छपने वाली कहानियों लेखों विभिन्न आयोजनों में अतिथि के रुप में समाचार पढ़ते बड़ा हुआ । साहित्य की बारीकियों को जानते, समझते, लेखन में अपनी पकड़ बनाने की कोशिश करते राजनांदगांव दुर्ग भिलाई रायपुर के साहित्यिक आयोजनों में अपनी उपस्थिति देने लगा । पुस्तक विमोचन समारोह, विचार गोष्ठी, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के आयोजनों में डॉ.परदेशी राम वर्मा जी के विचार सुनते रहे लेकिन मंच साझा करने का अवसर 6 दिसंबर 2012 को कंगला मांझी धाम बघमार में लगातार तीन दिन तक चलने वाले विशाल कार्यक्रम में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ था जिसमें श्री राम वर्मा जी से मुलाकात मेरे लिए अविस्मरणीय है, तब से लेकर आज तक लगातार उनके सानिध्य में साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न हूँ। डॉ.वर्मा जी को मैने अपने मार्गदर्शक गुरू के रूप में सदैव अपने समीप पाया यह मेरे लिये सौभाग्य की बात है। साहित्य की बारीकियॉ सीखने से लेकर जीवन की उहापोह में अपने पारिवारिक सदस्य के रूप में बेहिचक उनसे सलाह ले लेता हूं और हर बार उन्होने मेरा हौसला बुलंद किया, उनके हर आमंत्रण आदेश मैने शिरोधार्य किया, सर जी का सानिध्य मुझे हमेशा मिलता रहे यही कामना है।
कंगला मांझी धाम बघमार जिला बालोद की प्रसिद्ध में डॉ.परदेशी राम वर्मा का योगदान अविस्मरणीय है। विगत 10 वर्षों से लगातार कंगला मांझी धाम में मैं डॉ वर्मा जी के आमंत्रण पर मधुर साहित्य परिषद के साथियों सहित काव्य पाठ में शामिल हो रहा हूं । विगत दस वर्षों में कंगला मांझी धाम में विकास की बड़ी इबारत लिखते देख रहा हूं।पहले मॉझी धाम पहुंच मार्ग गिट्टी और मिट्टी मुरुमयुक्त अत्यंत जर्जर था,अब वहॉ तक सुविधायुक्त पक्की सड़क एवं गेट है, कंगला मांझी धाम में जो विकास हुए हैं श्री परदशीराम वर्मा जी के सहयोग के बिना लगभग असंभव था । मांझी धाम में राजनीतिक साहित्यिक सामाजिक एवं प्रशासनिक हस्तियों का अनवरत आगमन श्री वर्मा जी के योगदान से ही संभव हो पाया है । फूलोंदेवी कांगे एवं कुंभदेव कांगे के निर्देशन में होने वाले कंगला मांझी जन्मोत्सव में जुटने वाले हजारों की भीड़ में अगासदिया परिवार की उपस्थिति और छत्तीसगढ़ शासन के प्रशासनिक अमलों का जमावड़ा मांझी धाम की विशिष्टता साबित कर देता है। कंगला मॉझी के सम्मान में वृद्धि का बड़ा प्रमाण मैंने देखा जिनमें बघमार को गौरव ग्राम घोषित करवाना,डौंडी के महाविद्यालय का नाम कंगला मांझी के नाम से घोषित करवाना, महाविद्यालय एवं मांझी धाम परिसर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कंगला मॉझी की मूर्ति का अनावरण, महाविद्यालयीन वार्षिक पुस्तिका कंगला मांझी स्मारिका का प्रकाशन, विशाल सामुदायिक भवन निर्माण, सीसी रोड निर्माण, कार्यक्रम स्थल में विशाल मंच, तीन दिवस तक होने वाले मांझी महोत्सव में सुरक्षा की प्रशासनिक व्यवस्था, विशाल भंडारा, देश के कोने-कोने से आये हजारों मांझी सैनिकों के लिए ठहरने की व्यवस्था, पानी बिजली सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था इतनी सारी व्यवस्था वृहद रूप में करना कोई हँसी खेल नहीं । ऐसे आयोजनों की व्यवस्था निश्चित ही राजमाता फूलोंदेवी कांगे, कुम्भदेव कांगे, राजकुमारी कांगे एवं कंगला मांझी की विशाल सेना भले ही संभालते हों, लेकिन आयोजन को थामने का बीड़ा जिसने उठाया वह है डॉ.परदेशी राम वर्मा जी जिनके आमंत्रण पर कंगला मांझी धाम में पवन दीवान, तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष एवं वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लेकर अनवरत श्रंखला में इस वर्ष छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके का आगमन और उनका सकारात्मक उद्बोधन कंगला मांझी धाम का गौरव वर्धन करता है।
एक समय था कंगला मांझी धाम बघमार बालोद अंचल में ही गुमनाम था उनके सैकड़ों सैनिकों को बुलंद हौसला देने में डॉ. परदेशी राम वर्मा का योगदान निश्चित ही अविस्मरणीय है । आज कंगला मांझी छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन पूरे भारतवर्ष में जिज्ञासा एवं कौतूहल का केंद्रबिंदु है, जो राष्ट्रीयता देश-प्रेम एवं सामाजिक सौहार्द्रता का बड़ा संदेश समाज को दे रहा है । डॉ.परदेशी राम वर्मा जी के संपादन में कंगला मांझी द्वारा लिखित भारत भूमिका पुस्तक प्रकाशन एवं उन पर साहित्य जो आगमन एवं अगासदिया के विभिन्न अंकों में अनवरत प्रकाशित हुआ,विशेषांक प्रकाशन से कंगला मांझी सरकार के प्रति लोगों में जागरूकता फैली है। आदिवासी चेतना जागृति में अंचल में कंगला मांझी पर केंद्रित वृहद आयोजन के स्वर्णिम संचालन में डॉ.परदेशीराम वर्मा जी की विशिष्टता जन जन में चर्चा का विषय रहा है। किसी भी स्वर्णिम आयोजन एवं कार्य का श्रेय कभी भी स्वयं नहीं लेना उनकी बड़ी विशेषता एवं महानता है ।
गद्य लेखन के माध्यम से हम बहुत सरलता से मन की बात रख सकते हैं। यह बहुत सरल और आसान विधा है जिसके माध्यम से हम अपने आसपास घटित हो रहे घटनाओं को साहित्य का रूप देकर सकारात्मक संदेश द्वारा समाज को सचेत कर सकते हैं। समाज को विकृति से बचाने सुदृढ़ समाज निर्माण में साहित्यकार की बड़ी भूमिका होती हैं जो वे बखूबी निर्वहन कर रहे हैं। गद्य साहित्य का आधार है छोटा बच्चा भी गद्य की भाषा आसानी से समझ सकता है हम सुबह से लेकर शाम तक आजीवन एक दूसरे से गद्य ही बोलते सुनते आये हैं। गद्य के माध्यम से हम समाज को सार्थक संदेश देते हैं नकारात्मक साहित्य से समाज को कभी कोई दिशा नहीं मिलती । डॉ.वर्मा जी ने रस युक्त प्रेरक साहित्य सृजित कर पाठकों के बीच लोकप्रिय के पायदान तय किया। साहित्यकार समदर्शी होता है दलगत जातिगत धर्मगत भेदभाव से दूर रहकर सृजित किया गया साहित्य समाज को सकारात्मक संदेश देता है ऐसे साहित्यकारों से समाज को मजबूती मिलती है श्री वर्मा जी ने अपने 50 साल के लिखित विशिष्ट साहित्य से यह साबित कर दिया कि साहित्यकार समाज की रीढ़ है, जिस समाज में साहित्यकार की लेखनी मजबूत हो वह समाज भी मजबूत रहता है,वर्मा जी की मजबूत लेखनी ने समाज का हमेशा मार्गदर्शन किया है । हमें उनका आशीष मिलता रहे डॉक्टर वर्मा जी हमेशा स्वस्थ रहें मस्त रहें व्यस्त रहें ।
शब्दों के इस बाजीगर ने शब्द अस्त्र संधान किया ।
शब्द दिलों से दिल को जोड़े ऐसा जग निर्माण किया ।
जीवन के अमृत महोत्सव पर डॉ परदेशी राम वर्मा जी को हार्दिक बधाई ।
■डॉ. अशोक आकाश
■संपर्क-
■97558 89199
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