♀ रचना आसपास : परमेश्वर वैष्णव 【 भिलाई-छत्तीसगढ़ 】
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♀ जो छोड़ गए वे ही बसने लगे हमारे जिगर में…
जो छोड़ गए वे ही बसने लगे हमारे जिगर में
आंखें बंद करते ही आ जाते नजर नजर में
सुख की आस में भटकते रहे जुगुप्सा-अंधेरे में
प्रेम की रोशनी में सुख मिला अपने ही घर में
जिनका व्यवहार बाजार सा हो गया है
उनकी इज्जत भी बिकने लगी सस्ते दर में
अब कारगर इलाज हम किससे कराएं
छल की बीमारी पनप गई खुद डॉक्टर में
रोने लगे याद में नदी नाले पहाड़ जंगल
पूरा का पूरा गांव बसने लगा अब शहर में
●कवि संपर्क-
●95255 57048
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