• Chhattisgarh
  • रौद्र और कोमल की जुगलबंदी की जुगत के पीछे क्या है ❓ – बादल सरोज

रौद्र और कोमल की जुगलबंदी की जुगत के पीछे क्या है ❓ – बादल सरोज

2 years ago
171

संगीत, भारतीय शास्त्रीय संगीत में स्वर और रागों का एक ख़ास विधान है। स्वर की नियमित आवाज को उसकी निर्धारित तीव्रता से नीचा उतारने पर वह कोमल हो जाता है, थोड़ा ऊंचा उठाने पर वह तीव्र हो जाता है। एक साथ एक ही समय इन दोनों तरह के स्वरों की जुगलबंदी संगीत में बहुत कठिन मानी जाती है। यह श्रोता को रसास्वादन कराने की बजाय उसे भ्रम और मुगालते में डाल देती है। संघ परिवार इन दिनों इसी तरह की बेमेल जुगलबंदी में लगा हुआ है।

अभी हाल में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में प्रधानमंत्री मोदी कोमल स्वर में राग गाते नजर आये। उन्होंने फिल्मो पर बयानबाजी करने वाले अपनी ही पार्टी के नेताओं और खासतौर से मध्यप्रदेश के उस गृहमंत्री को फटकारा, जो चौबीस घंटा सातों दिन मुम्बईया फिल्मों के प्रोमो और अभिनेत्रियों के परिधानों को ही निहारता बैठा रहता है। मोदी जी ने कहा, “एक नेता हैं, जो फिल्मों पर बयान देते रहते हैं, उनके बयान टीवी पर चलते रहते हैं। उन्हें लगता है, ऐसा करके वे नेता बन रहे हैं, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी उन्हें फोन किया, लेकिन वे मानते नहीं हैं। क्या जरूरत है हर फिल्म पर बयान देने की।” मोदी यहीं तक नहीं रुके, उन्होंने मुसलमानो के खिलाफ बयानबाजी पर भी अप्रसन्नता जताई। दिल्ली में हुयी इस कार्यकारिणी बैठक में उन्होंने कहा कि “पार्टी नेताओं को मुसलमान समुदाय के लोगों के प्रति अभद्र टिप्पणी करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में कई समुदाय भाजपा को वोट नहीं देते हैं, लेकिन इसके बाद भी भाजपा कार्यकर्ताओं को उनके प्रति अपमान नहीं दिखाना चाहिए, बल्कि बेहतर तालमेल स्थापित कर बेहतर व्यवहार बनाना चाहिए।” हालांकि डिवाइडर – इन – चीफ यहां भी विभाजन की रेखा खींचने से बाज नहीं आये। उन्होंने मुसलमानों में भी पसमांदा और बोहरा समुदाय के लोगों के ज्यादा करीब जाने की बात कही। हैदराबाद में हुयी कार्यकारिणी में भी वे ऐसी ही कुछ बातें बोले थे।

जाहिर है कि प्रधानमंत्री के इस बयान को तवज्जोह मिली, मिलनी भी थी। इसलिए भी कि यह बीबीसी की डॉक्यूमेंटरी में 2002 के गुजरात नरसंहार के लिए उन्हें दोषी ठहराए जाने की पृष्ठभूमि में आया था। उन मोदी की तरफ से आया था, जो साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को शमशान और कब्रिस्तान की गहराई तक ले जा चुके हैं। इनके साथ, इनके अलावा और इनके बावजूद मोदी के इस भाषण के संज्ञान लिए जाने की एक वजह कुछ दिन पहले आरएसएस प्रमुख का भाषण भी था। आरएसएस से जुड़े पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादकों की एक बैठक में बोलते हुए सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक तरह से युद्धघोष ही कर दिया था। उन्होंने कहा कि “हिंदू समाज हजारों साल से गुलाम रहा है, अब उसमें जागृति आ रही है, जिसके कारण कभी-कभी हिंदू समुदाय की ओर से कुछ आक्रामक व्यवहार दिखाई पड़ जाता है।” उन्होंने इसे ठीक तो नहीं बताया, लेकिन परोक्ष रूप से इस बात का समर्थन कर दिया कि “हिंदू समुदाय का यह आक्रोश इतिहास को देखते हुए सही है। स्वाभाविक है कि लड़ना है, तो दृढ़ होना ही पड़ता है।” इसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने हिंसक टिप्पणियों और शाब्दिक हिंसा को जायज करार देते हुए यहां तक कहा कि “जब युद्ध है, तो लोगों में कट्टरता आएगी ही। ऐसा नहीं होना चाहिए, मगर फिर भी उग्र वक्तव्य आएंगे ही।” इस युद्ध या लड़ाई के बारे में कहीं कोई गफलत न छूट जाए, इसलिए उन्होंने इसकी सीमा रेखा भी खींची। उन्होंने कहा कि : “यह लड़ाई बाहर से नहीं है, वह लड़ाई अंदर से ही है। यह हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति, हिंदू समाज की सुरक्षा का प्रश्न है, उसकी लड़ाई चल रही है।” और आगे बढ़ते हुए उन्होंने मुसलमानों (और कम्युनिस्टों) को भी सलाह दी कि वे रहना चाहते हैं तो रहें, अपने पूर्वजों के पास आना (हिन्दू बनना) चाहते हैं तो रहें। हम अलग हैं, यह सोचना छोड़ना पडेगा। ऐसा सोचने वाला कोई हिन्दू (पढ़ें : दलित, आदिवासी, ओबीसी, एमबीसी) है, तो उसको भी छोड़ना पडेगा। कम्युनिस्ट है, उसको भी छोड़ना पड़ेगा।”

अपनी इसी बात में उन्होंने आगे जोड़ा कि “जनसंख्या नियंत्रण एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। उसका विचार करना चाहिए… धर्मांतरण और घुसपैठियों से ज्यादा असंतुलन होता है। उसको रोकने से असंतुलन नष्ट हो जाता है।” भारत में रहने वाले मुसलमानों के बारे में बात करते हुए भागवत ने जबरन धर्मांतरण, अवैध प्रवासी और ‘घर वापसी’ की बात भी की। हालांकि अपने इस संबोधन में उन्होंने गीता को दूसरा श्लोक दोहराया था, मगर असल में वे :
“सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥” (सभी धर्मों को त्याग कर अर्थात हर आश्रय को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ, मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो।) श्लोक में निहित सन्देश दे रहे थे। वास्तव में तो वे और भी आगे बढ़कर एमएस गोलवलकर की “वी एंड आवर नेशनहुड” (हम और हमारी राष्ट्रीयता) की उस किताब में लिखे को दोहरा रहे थे, जिसे खुद आरएसएस – फिलहाल – स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है।

मोदी और भागवत के इन दोनों भाषणों को अलग-अलग नहीं आपस में जोड़कर पढ़ा जाना चाहिए, तभी असली मकसद साफ़ होता है। वैसे भी यह पहली बार नहीं है, जब इन दोनों ने एक दूसरे के विपरीत और अंतर्विरोधी लगते, किन्तु वास्तव में एक-दूसरे के पूरक बयान दिए हों। वे समय-समय पर ऐसा करते रहते हैं – और वह एक सुविचारित पटकथा का हिस्सा होता है। इसके पहले मोदी ने गोरक्षा के नाम पर गोरखधंधा करने वालों पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि ‘‘ऐसे लोग दिन में गोरक्षा का चोला पहनकर घूमते हैं और रात में असामाजिक गतिविधियों में लिप्त रहते हैं।” उन्होंने कहा था कि “पड़ताल की जाए, तो इनमें से 80 प्रतिशत लोग ऐसे निकलेंगे, जो गोरक्षा की दुकान खोलकर बैठ गए हैं।” ऐसे लोगों पर गुस्सा जाहिर करते हुए उन्होंने राज्य सरकारों से ऐसे लोगों का डोजियर तैयार कर उनके खिलाफ कार्रवाई की अपील की थी। ऐसा कोई डोजियर न बनना था, न बना। दूसरों की छोड़िये, खुद उनकी भाजपा सरकारों ने ही तैयार नहीं किया। मोदी के इस बयान के बाद तुरंत ही मोहन भागवत गौरक्षकों के अप्रतिम धार्मिक योगदान की सराहना करते हुए कूद पड़े थे। इनसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी तक इसे आजमाते रहे थे। गुजरात दंगों के बाद राजधर्म के पालन और बीच-बीच में “काम न धाम – जयश्रीराम” के जुमलों से अपनी उदार छवि का मुखौटा संवारते रहते थे। संघ परिवार की यह आजमाई हुयी जुगलबंदी हैं, जिसे संगीत की भाषा में ही कहे, तो आरोहो-अवरोहों से घूम-घामकर अंततः शुद्ध पर पहुँच जाती है। मूलतः यह शुद्ध युद्ध का आव्हान है। “युद्ध और प्रेम (जिसे यह जानते तक नहीं हैं) में सब कुछ जायज है” के बेहूदा मुहावरे का पुनराख्यान है।

गौरतलब है कि मोदी जी कहने से मना कर रहे हैं, करने से नहीं। उनका रिकॉर्ड है कि अपने पूरे कार्यकाल में घटी जघन्य और विचलित कर देने वाली घटनाओं पर उन्होंने कभी कुछ नहीं बोला। मजबूरी में कभी बोलना भी पड़ा, तो “दिल से कभी माफ़ नहीं करूंगा” जैसा ही बोला।

फिल्मों के बारे में मोदी जी की टिप्पणी के पीछे भी सदभाव या कला के प्रति उदारता नहीं, व्यवसाय और इसकी अंतर्राष्ट्रीय स्वीकार्यता है। फिल्म उद्योग में अम्बानी सहित भारत के धन्नासेठों और अमरीकी घरानो का पैसा लगा है। इस इंडस्ट्री का भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है। इसके द्वारा सृजित किये जाने वाले विविध रोजगार अकसर अगर आंतरिक अर्थव्यवस्था के हिसाब से महत्व के हैं, तो अकेले अमरीकी मनोरंजन उद्योग में सबसे ज्यादा निर्यात करने और उसके माध्यम से विदेशी मुद्रा लाने वाला जरिया भी है। उस पर इन दिनों जो संघ परिवार के सीधे निशाने पर है, उन शाहरुख खान की लोकप्रियता कम असाधारण नहीं है। सिर्फ मध्य-पूर्व या खाड़ी के देशों में ही नहीं, वे यूरोप और अमरीका में भी भारत की पहचान माने जाते हैं। कला का यह माध्यम देखने-सुनने के आस्वाद और आल्हाद से कहीं आगे जाता है। आमतौर से हर जगह और खासतौर से भारत में फिल्मों की भूमिका समाज और व्यक्ति की जीवन शैली को प्रभावित और एक हद तक संस्कारित करने की भी होती है। आजाद भारत में सत्तर के दशक तक की फिल्मों ने इसमें जो योगदान दिया है, उसे सब जानते हैं। फिल्में इन सबकी पहचान दुनिया से भी कराती है। एक तरह से फिल्में देश की कल्चरल एम्बेसडर – सांस्कृतिक राजदूत – है। हालांकि ठीक यही वजह फासिस्टों और तानाशाहों को इस कला माध्यम को हमले की जद में भी लाती हैं। जैसा कि इसी जगह पहले लिखा जा चुका है, हिटलर ने यही किया था। जी-20 के अध्यक्ष बनने से अभिभूत मोदी और उनकी सरकार जानती है कि भारतीय फिल्मों को निशाना बनाकर किये जाने वाले हमलों पर दुनिया के देशों की प्रतिक्रिया उनके लिए नकारात्मक साबित हो सकती है। पिछली साल नूपुर शर्मा के बयानों के बाद हुयी तीखी प्रतिक्रिया का सबक उन्हें याद है।

मोदी की कथित कड़ी सलाह और तथाकथित मीठी फटकार के बाद नरोत्तम मिश्रा और हेमंत विश्व सरमा भले लाईन पर आने के भाव दिखा रहे हों, भक्तों की बटालियनें अपने काम में लगी हुयी हैं। पठान फिल्म को लेकर इनके हुड़दंगियों की हुड़दंगई पूरा देश और दुनिया देख चुकी है। जनता द्वारा ठुकराए जाने के बाद अब पतली गली तलाशी जा रही है।

ऐसा होना ही था क्योंकि ये जो कच्चे, कोमल राग की रागिनी है, वह पक्के, कर्कश स्वरों से अलग नहीं है। उन्हें दबाने के लिए नहीं है, उन पर आवरण डालने के लिए, एक भरम खड़ा करने के लिए है। पठान फिल्म पर मिली हार के बाद ये सुधरने वाले नहीं हैं – नया मुद्दा, नया झूठ लेकर आएंगे।

•बादल सरोज
[ लेखक ‘ लोकजतन ‘ के संपादक हैं ]

🟥🟥🟥

विज्ञापन (Advertisement)

ब्रेकिंग न्यूज़

breaking Chhattisgarh

पटवारी के पद पर चार आवेदकों को मिली अनुकम्पा नियुक्ति

breaking Chhattisgarh

रायपुर दक्षिण पर भाजपा की ऐतिहासिक जीत पर मुख्यमंत्री साय ने दी बधाई, कहा – हमारी सरकार और पीएम मोदी पर भरोसा करने के लिए धन्यवाद

breaking Chhattisgarh

बृजमोहन के गढ़ में सालों से बना रिकॉर्ड बरकरार, सुनील सोनी ने भाजपा को दिलाई ऐतिहासिक जीत, सुनिए सांसद अग्रवाल ने क्या कहा ?

breaking Chhattisgarh

महाराष्ट्र में प्रचंड जीत के बीच सीएम एकनाथ शिंदे की आई प्रतिक्रिया, CM चेहरे पर BJP को दे डाली नसीहत

breaking Chhattisgarh

रायपुर दक्षिण सीट पर सुनील सोनी जीते, कांग्रेस के आकाश शर्मा को मिली करारी मात

breaking Chhattisgarh

घोटाले को लेकर CBI के हाथ लगे अहम सबूत, अधिकारी समेत उद्योगपति को किया गया गिरफ्तार

breaking Chhattisgarh

इस देश में पाकिस्तानी भिखारियों की बाढ़; फटकार के बाद पाकिस्तान ने भिखारियों को रोकने लिए उठाया कदम

breaking Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी पर मंडराया खतरा! क्यों राइस मिलरों ने कस्टम मिलिंग न करने की दी चेतावनी?

breaking Chhattisgarh

छत्‍तीसगढ़ में बजट सत्र के पहले नगरीय निकाय-पंचायत चुनाव कराने की तैयारी, दिसंबर में हो सकती है घोषणा

breaking Chhattisgarh

वधुओं के खाते में सरकार भेजेगी 35000 रुपये, जानें किस योजना में हुआ है बदलाव

breaking Chhattisgarh

अमेरिका में गौतम अडानी का अरेस्‍ट वारंट जारी,धोखाधड़ी और 21 अरब रिश्वत देने का आरोप

breaking Chhattisgarh

भाईयों से 5वीं के छात्र की मोबाइल को लेकर नोक-झोक, कर लिया सुसाइड

breaking Chhattisgarh

छत्‍तीसगढ़ में तेजी से लुढ़का पारा, बढ़ने लगी ठंड, सरगुजा में शीतलहर का अलर्ट, 9 डिग्री पहुंचा तापमान

breaking Chhattisgarh

सुप्रीम कोर्ट के वारंट का झांसा दे कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट से ठगी, 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट कर 49 लाख लूटे

breaking Chhattisgarh

चींटी की चटनी के दीवाने विष्णुदेव किसे कहा खिलाने! बस्तर के हाट बाजारों में है इसकी भारी डिमांड

breaking Chhattisgarh

IIT Bhilai में अश्लीलता परोसने वाले Comedian Yash Rathi के खिलाफ दर्ज हुई FIR

breaking Chhattisgarh

केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री नायडू से सीएम साय ने की मुलाकात, क्षेत्रीय हवाई अड्‌डों के विकास पर हुई चर्चा

breaking international

कनाडा ने भारत की यात्रा कर रहे लोगों की “विशेष जांच” करने का ऐलान ,क्या है उद्देश्य ?

breaking Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ में भी टैक्स फ्री हुई फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’, सीएम ने की घोषणा

breaking Chhattisgarh

6 दिन में कमाए 502 करोड़ रुपये, अभी और होगी कमाई, जानिए छत्तीसगढ़ में किसानों की कैसे हुई बल्ले-बल्ले

कविता

poetry

इस माह के ग़ज़लकार : रियाज खान गौहर

poetry

कविता आसपास : रंजना द्विवेदी

poetry

रचना आसपास : पूनम पाठक ‘बदायूं’

poetry

ग़ज़ल आसपास : सुशील यादव

poetry

गाँधी जयंती पर विशेष : जन कवि कोदूराम ‘दलित’ के काव्य मा गाँधी बबा : आलेख, अरुण कुमार निगम

poetry

रचना आसपास : ओमवीर करन

poetry

कवि और कविता : डॉ. सतीश ‘बब्बा’

poetry

ग़ज़ल आसपास : नूरुस्सबाह खान ‘सबा’

poetry

स्मृति शेष : स्व. ओमप्रकाश शर्मा : काव्यात्मक दो विशेष कविता – गोविंद पाल और पल्लव चटर्जी

poetry

हरेली विशेष कविता : डॉ. दीक्षा चौबे

poetry

कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी

poetry

कविता आसपास : अनीता करडेकर

poetry

‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के संपादक व कवि प्रदीप भट्टाचार्य के हिंदी प्रगतिशील कविता ‘दम्भ’ का बांग्ला रूपांतर देश की लोकप्रिय बांग्ला पत्रिका ‘मध्यबलय’ के अंक-56 में प्रकाशित : हिंदी से बांग्ला अनुवाद कवि गोविंद पाल ने किया : ‘मध्यबलय’ के संपादक हैं बांग्ला-हिंदी के साहित्यकार दुलाल समाद्दार

poetry

कविता आसपास : पल्लव चटर्जी

poetry

कविता आसपास : विद्या गुप्ता

poetry

कविता आसपास : रंजना द्विवेदी

poetry

कविता आसपास : श्रीमती रंजना द्विवेदी

poetry

कविता आसपास : तेज नारायण राय

poetry

कविता आसपास : आशीष गुप्ता ‘आशू’

poetry

कविता आसपास : पल्लव चटर्जी

कहानी

story

लघुकथा : डॉ. सोनाली चक्रवर्ती

story

कहिनी : मया के बंधना – डॉ. दीक्षा चौबे

story

🤣 होली विशेष :प्रो.अश्विनी केशरवानी

story

चर्चित उपन्यासत्रयी उर्मिला शुक्ल ने रचा इतिहास…

story

रचना आसपास : उर्मिला शुक्ल

story

रचना आसपास : दीप्ति श्रीवास्तव

story

कहानी : संतोष झांझी

story

कहानी : ‘ पानी के लिए ‘ – उर्मिला शुक्ल

story

व्यंग्य : ‘ घूमता ब्रम्हांड ‘ – श्रीमती दीप्ति श्रीवास्तव [भिलाई छत्तीसगढ़]

story

दुर्गाप्रसाद पारकर की कविता संग्रह ‘ सिधवा झन समझव ‘ : समीक्षा – डॉ. सत्यभामा आडिल

story

लघुकथा : रौनक जमाल [दुर्ग छत्तीसगढ़]

story

लघुकथा : डॉ. दीक्षा चौबे [दुर्ग छत्तीसगढ़]

story

🌸 14 नवम्बर बाल दिवस पर विशेष : प्रभा के बालदिवस : प्रिया देवांगन ‘ प्रियू ‘

story

💞 कहानी : अंशुमन रॉय

story

■लघुकथा : ए सी श्रीवास्तव.

story

■लघुकथा : तारक नाथ चौधुरी.

story

■बाल कहानी : टीकेश्वर सिन्हा ‘गब्दीवाला’.

story

■होली आगमन पर दो लघु कथाएं : महेश राजा.

story

■छत्तीसगढ़ी कहानी : चंद्रहास साहू.

story

■कहानी : प्रेमलता यदु.

लेख

Article

तीन लघुकथा : रश्मि अमितेष पुरोहित

Article

व्यंग्य : देश की बदनामी चालू आहे ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

लघुकथा : डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय [केंद्रीय विद्यालय वेंकटगिरि, आंध्रप्रदेश]

Article

जोशीमठ की त्रासदी : राजेंद्र शर्मा

Article

18 दिसंबर को जयंती के अवसर पर गुरू घासीदास और सतनाम परम्परा

Article

जयंती : सतनाम पंथ के संस्थापक संत शिरोमणि बाबा गुरु घासीदास जी

Article

व्यंग्य : नो हार, ओन्ली जीत ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

🟥 अब तेरा क्या होगा रे बुलडोजर ❗ – व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा.

Article

🟥 प्ररंपरा या कुटेव ❓ – व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा

Article

▪️ न्यायपालिका के अपशकुनी के साथी : वैसे ही चलना दूभर था अंधियारे में…इनने और घुमाव ला दिया गलियारे में – आलेख बादल सरोज.

Article

▪️ मशहूर शायर गीतकार साहिर लुधियानवी : ‘ जंग तो ख़ुद ही एक मसअला है, जंग क्या मसअलों का हल देगी ‘ : वो सुबह कभी तो आएगी – गणेश कछवाहा.

Article

▪️ व्यंग्य : दीवाली के कूंचे से यूँ लक्ष्मी जी निकलीं ❗ – राजेंद्र शर्मा

Article

25 सितंबर पितृ मोक्ष अमावस्या के उपलक्ष्य में… पितृ श्राद्ध – श्राद्ध का प्रतीक

Article

🟢 आजादी के अमृत महोत्सव पर विशेष : डॉ. अशोक आकाश.

Article

🟣 अमृत महोत्सव पर विशेष : डॉ. बलदाऊ राम साहू [दुर्ग]

Article

🟣 समसामयिक चिंतन : डॉ. अरविंद प्रेमचंद जैन [भोपाल].

Article

⏩ 12 अगस्त- भोजली पर्व पर विशेष

Article

■पर्यावरण दिवस पर चिंतन : संजय मिश्रा [ शिवनाथ बचाओ आंदोलन के संयोजक एवं जनसुनवाई फाउंडेशन के छत्तीसगढ़ प्रमुख ]

Article

■पर्यावरण दिवस पर विशेष लघुकथा : महेश राजा.

Article

■व्यंग्य : राजेन्द्र शर्मा.

राजनीति न्यूज़

breaking Politics

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उदयपुर हत्याकांड को लेकर दिया बड़ा बयान

Politics

■छत्तीसगढ़ :

Politics

भारतीय जनता पार्टी,भिलाई-दुर्ग के वरिष्ठ कार्यकर्ता संजय जे.दानी,लल्लन मिश्रा, सुरेखा खटी,अमरजीत सिंह ‘चहल’,विजय शुक्ला, कुमुद द्विवेदी महेंद्र यादव,सूरज शर्मा,प्रभा साहू,संजय खर्चे,किशोर बहाड़े, प्रदीप बोबडे,पुरषोत्तम चौकसे,राहुल भोसले,रितेश सिंह,रश्मि अगतकर, सोनाली,भारती उइके,प्रीति अग्रवाल,सीमा कन्नौजे,तृप्ति कन्नौजे,महेश सिंह, राकेश शुक्ला, अशोक स्वाईन ओर नागेश्वर राव ‘बाबू’ ने सयुंक्त बयान में भिलाई के विधायक देवेन्द्र यादव से जवाब-तलब किया.

breaking Politics

भिलाई कांड, न्यायाधीश अवकाश पर, जाने कब होगी सुनवाई

Politics

धमतरी आसपास

Politics

स्मृति शेष- बाबू जी, मोतीलाल वोरा

Politics

छत्तीसगढ़ कांग्रेस में हलचल

breaking Politics

राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कहा- मर्यादित भाषा में रखें अपनी बात

Politics

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने डाॅ. नरेन्द्र देव वर्मा पर केन्द्रित ‘ग्रामोदय’ पत्रिका और ‘बहुमत’ पत्रिका के 101वें अंक का किया विमोचन

Politics

मरवाही उपचुनाव

Politics

प्रमोद सिंह राजपूत कुम्हारी ब्लॉक के अध्यक्ष बने

Politics

ओवैसी की पार्टी ने बदला सीमांचल का समीकरण! 11 सीटों पर NDA आगे

breaking Politics

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, ग्वालियर में प्रेस वार्ता

breaking Politics

अमित और ऋचा जोगी का नामांकन खारिज होने पर बोले मंतूराम पवार- ‘जैसी करनी वैसी भरनी’

breaking Politics

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री, भूपेश बघेल बिहार चुनाव के स्टार प्रचारक बिहार में कांग्रेस 70 सीटों में चुनाव लड़ रही है

breaking National Politics

सियासत- हाथरस सामूहिक दुष्कर्म

breaking Politics

हाथरस गैंगरेप के घटना पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने क्या कहा, पढ़िए पूरी खबर

breaking Politics

पत्रकारों के साथ मारपीट की घटना के बाद, पीसीसी चीफ ने जांच समिति का किया गठन