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छत्तीसगढ़ : राजनांदगांव : आदिवासी लोककला अकादमी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘ नाचा समारोह ‘ का समापन…
🌸 75 पार हो चुके पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर खूब जमे डाकू सुल्ताना बनकर…
🌸 चरणदास चोर और माँ – बेटी की कहानी ने भी दिया संदेश…
🌸 आदिवासी लोककला अकादमी ने सम्मानित किया कलाकारों का…
राजनांदगांव [छत्तीसगढ़ आसपास] : आदिवासी लोककला अकादमी रायपुर छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ शासन ओर से यहां त्रिवेणी परिसर में तीन दिवसीय नाचा समारोह का गुरुवार 16 फरवरी की शाम पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर के बहुचर्चित नाटक ‘डाकू सुल्ताना’ के मंचन के साथ संपन्न हुआ। तीसरे और अंतिम दिन दर्शकों की बड़ी तादाद में मौजूदगी के बीच तीन नाटकों का मंचन हुआ।
शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के पीछे बने मंच पर नाचा के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से महिला उत्पीड़न, सच्चाई और ह्रदय परिवर्तन जैसे विषयों पर गंभीर संदेश के साथ हास्य-व्यंग्य की प्रस्तुति दी।
छत्तीसगढी नाचा पाटी पचपेड़ी जिला धमतरी के संचालक ध्रुव कुमार साहू के समूह ने यहां ‘झन भुलो मां बाप ला’ का मंचन किया। अपने इस नाटक मेें कलाकारों ने मां-बेटी की कहानी के माध्यम से महिला उत्पीड़न और पारिवारिक रिश्तों पर गंभीर संदेश दिया।
इस नाटक के हास्य-व्यंग्य से भरे संवादों ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। इस समूह के मैनेजर हिम्मत लाल साहू, संगीत कलाकार में हारमोनियम भुवन साहू, तबलावादक खुमेश विश्वकर्मा, नाल वादक अश्विनी सिन्हा, शहनाई वादक अशोक यादव, बैंजो वादक ध्रुव कुमार साहू, झुमका वादक नरेश कुमार साहू तबला, खुमेश विश्वकर्मा, मंच में जोकर हिम्मत साहू, रूपेश साहू और जनानी पूनम यादव ने अपनी भूमिका का निर्वहन किया।
संत समाज नाच पार्टी पुरदा करेली पोस्ट नयागांव थाना बोरी तहसील धमधा जिला दुर्ग की टीम ने विजयदान देथा के कालजयी नाटक पर आधारित ‘नामी चोर चरणदास’ की प्रस्तुति गोवर्धन यादव के मार्गदर्शन में दी। इसे नाचा समूह ने अपने अंदाज में पेश किया। जिसमें हमेशा सच बोलने वाले चरणदास चोर के इर्द-गिर्द बुना गया कथानक दर्शकों को सच्चाई-ईमानदारी का संदेश देते हुए हंसने पर मजबूर कर गया।
इस नाटक में चरणदास भरत लाल साहू, हवलदार पुजारी शिवकुमार उमरे (साधु), हास्य कलाकार चंद्रशेखर सेन (मालगुजार-दरबारी), गजानंद ठाकुर मुनीमजी (नौकर), बाजारू राम निषाद(रानी दाई), शिवचरण कौशिक (दासी-डांसर), तुकाराम साहू वादक, कीरत लाल दिल्लीवार हारमोनियम, गायन भगोली राम यादव, बैंजो मास्टर डोमार सिंह निषाद, तबला वादक राजू विश्वकर्मा, ढोलक वादक दुलार सिंह पटेल और मंत्री जी व गोला मास्टर के तौर पर बलदेव राम निषाद ने अपनी भूमिकाओं का निर्वहन किया।
पद्मश्री से सम्मानित होने जा रहे डोमार सिंह कुंवर लाटाबोड़ बालोद में मयारू मोर नाचा दल का संचालन करते हैं। भिलाई इस्पात संयंत्र से सेवानिवृत्त हो चुके 76 वर्ष के डोमार सिंह ने अपना पूरा जीवन नाचा विधा के उन्नयन में लगा दिया। करीब 47 साल पहले उन्होंने एक डाकू के हृदय परिवर्तन को लेकर नाचा के लिए ‘डाकू सुल्ताना’ नाटक रचा था। इसका मंचन छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश के गांव-गांव व देश के विभिन्न हिस्सों में हो चुका है। नाचा समारोह के अंतिम दिन ‘डाकू सुल्ताना’ का मंचन हुआ। उम्र के इस पड़ाव में भी डोमार सिंह ने ‘डाकू सुल्ताना’ का किरदार बखूबी निभाया। हास्य प्रहसन के साथ इस नाटक में परिस्थितिवश डाकू बने किरदार के इर्द-गिर्द कथानक गुना गया था जिसमें डाकू सुल्ताना का एक परमवीर चक्र विजेता सैनिक की वजह से हृदय परिवर्तन होता है। इसमें न सिर्फ गंभीर कथानक था बल्कि हास्य व्यंग का शानदार मिश्रण था। पद्मश्री डोमार सिंह की यह प्रस्तुति देखने के लिए दर्शक आखरी तक उपस्थित रहे और उनके हर संवाद पर जमकर तालियां बजाई।
इस नाटक में डाकू सुल्ताना की मुख्य भूमिका में खुद डोमार सिंह थे, वहीं अन्य कलाकारों में फौजी की भूमिका लेख राम साहू, जनाना रामा ठाकुर, प्रेमी गेंद लाल साहू, गेंद लाल की पत्नी नरेश साहू, जोकड़ परी लेखराम व रामा ठाकुर और साजिंदो में हारमोनियम डोमन साहू, नाल नुरेश साहू, शहनाई आसकरण,ढोल मंजीरा शालिग्राम, बेंजो गुलशन, ऑक्टोपैड धनंजय, डांस ग्रुप में मनोज, तारा सिंह व तबला लोमन दास का योगदान रहा।
लोककला अकादमी ने सम्मानित किया, पद्मश्री डोमार ने जताया आभार
आयोजन में लोक कला अकादमी की ओर से पद्मश्री डोमार सिंह कुंवर का सम्मान किया गया। अकादमी अध्यक्ष नवल शुक्ल ने सम्मानित करते हुए कहा कि उम्र के इस पड़ाव में भी जिस जिंदादिली के साथ नाचा जैसी विधा को डोमार सिंह कुंवर पूरी सक्रियता के साथ पुष्पित-पल्लवित कर रहे हैं, उसके लिए पद्मश्री मिलना सही मायनों में नाचा का ही सम्मान है।
नवल शुक्ल ने कुंवर के उज्जवल भविष्य व स्वस्थ्य जीवन की कामना की। अपने सम्मान के प्रति आभार जताते हुए डोमार सिंह कुंवर ने कहा कि अपने जीवन में वह नाचा विधा को आगे बढ़ाने जितना संभव हो सका उल्लेखनीय कर पाए हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य में नाचा के क्षेत्र में कुछ और बेहतर कर पाएंगे।
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