कविता आसपास : तारकनाथ चौधुरी
2 years ago
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🌸 संधिप्रकाश
– तारकनाथ चौधुरी
[चरोदा भिलाई, जिला – दुर्ग, छत्तीसगढ़]
रजनी ढलने को है।
स्वप्न छलने को है।।
पलकों पे रुका हुआ
अश्रु-कण बहने को है।।
क्षितिज रक्तिम हुआ।
सूरज उगने को है।।
संधिप्रकाश राग पर
भैरवी सजने को है।।
जीवन रुपी खेत पर।
कर्म-हल चलने को है।।
जो अपूर्ण रह गया।
काम वो करने को है।।
जो न कल खिल सकी
वो कली खिलने को है।।
तृण खगों की चोंच पर
नीड़ नव बनने को है।।
कवि है मेज़ पर झुका
कुछ नया रचने को है।।
तारक उठो तुम भी चलो
धूप सर चढ़ने को है।।
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•83494 08210
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chhattisgarhaaspaas
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