शरद पूर्णिमा के अवसर पर विशेष- किशोर कुमार तिवारी
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आज शरद पूर्णिमा है आज चाँद निखरेगा
आधी रात को अम्बर से अमृत बरसेगा ।
जो पी लिया तो समझो तकदीर वाला है
जो ना पिया तो समझो साल भर तरसेगा ।
नजरें उठा के अपनी आकाश को निहारो
फिर कल्पना में सुंदर उस चाँद को उतारो
रूप बस गया जो आँखों मे तो आंखें चाँदनी
रूप बस गया जो दिल में तो दिल दमकेगा ।
सोलह कलाओं से सजेगा चाँद का मुखड़ा
हर कोई बनाएगा उसे दिल का ही टुकड़ा
टुकड़ा धरती पर गिरा तो सौंदर्य बनेगा
गिरि कैलाश पे गिरा तो शिव का शीश सजेगा ।
chhattisgarhaaspaas
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