बाल कविता, आओ खेलें, छुपन-छुपाई- बलदाऊ राम साहू
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गिल्ली-डंडा, कंचे लेकर
जल्दी से तुम आओ
मुन्नू, रीमा, सीमा को भी
साथ-साथ ले लाओ
खेलेंगे डंडा-पचरंगा
हम सब मिलकर भाई
आओ खेलें छुपन-छुपाई।
खो, कबड्डी लंगड़ी दौड़
औ’ रेस-टीप खेलें
सबसे अच्छा छू-छुअउल है
जिसमें नहीं झमेले
खेल-खेल में प्यार मुहब्बत
सबको बाँटे भाई।
आओ खेलें, छुपन-छुपाई।
हाँकी, क्रिकेट फुटबॉल औ’
बाॅलीबाल भी खेले
आएँगे सुख-दुख उसको हम
हँसते-हँसते झेलें
कभी करें ना धक्का-मुक्की
और करें न लड़ाई।
आओ खेलें, छुपन-छुपाई।
【 देश के सुप्रसिद्ध बाल रचनाकार बलदाऊ राम साहू की बाल कविता ‘छत्तीसगढ़ आसपास वेब पोर्टल’ में नियमित प्रकाशित हो रही है.
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94076 50458
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