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अपनी बात : शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय जुनवानी भिलाई,जिला-दुर्ग, छत्तीसगढ़ की प्राचार्य श्रीमती वर्षा ठाकुर…
👉 श्रीमती वर्षा ठाकुर
• परीक्षा परिणाम ही अंतिम नहीं और भी हैं रास्ते
प्यारे विद्यार्थियों आप सबको प्रतिपदा नवसंवत्सर नववर्ष २०८१ की बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
बच्चों !!! यह समय हम सब के लिए बड़ा परिवर्तनकारी हैं। प्रकृति पुरानी काया छोड़ नए कलेवर में सजती है । वहीं आपको नए पायदान पर कदम बढ़ाने के लिए परीक्षा परिणाम का बेसब्री से इंतजार रहता है ।
कल आपका परीक्षा परिणाम घोषित होगा आपको वर्ष भर की मेहनत का फल मिलेगा । बच्चों मेहनत का फल हमेशा अच्छा होता है । बस थोड़े सब्र की आवश्यकता होती है । आओ हम सब परीक्षा परिणाम पर चर्चा करते हैं –
सबसे पहले परीक्षा में शामिल होने वाले सभी विद्यार्थियों को मेरी ओर से बहुत बहुत शुभकामनाएं ।
आप सब जीवन में खूब आगे बढ़िए , और एक अच्छा इंसान बनिए ।
मैं हर वर्ष परीक्षा परिणाम का विश्लेषण करती हूं , तो मुझे लगता है कि – सभी बच्चे सफल हैं , सत्रारंभ में बच्चों का जो स्तर रहता है, सत्रांत में वह बढ़ा हुआ होता है। ये अलग बात है कुछ बच्चे सफलता के लिए निर्धारित मानक तक नहीं पहुँच पाते। परन्तु सत्र के आरम्भ की तुलना में प्रदर्शन बेहतर होता है । आप थोड़ी और कोशिश करते ,थोड़ा और सजग होते तो निश्चित ही सफल रहते ।
प्यारे विद्यार्थियों , आप में से कुछ सफलता के लिए निर्धारित मानक तक नहीं पहुँच पाते और अपनी असफलता से दुःखी होकर गलत राह पर चल पड़ते हैं । मैं आपसे कहना चाहूंगी – आपको निराश होने की कतई आवश्यकता नहीं है । निराशा में जकड़कर कोई गलत कदम न उठाएं जीवन यहीं समाप्त नहीं होता ।
आप सबने बचपन में प्यासा कौआ की कहानी सुना होगा , यह महज एक कहानी नहीं बल्कि जीवन की एक बड़ी सीख है । कौआ पानी की तलाश में भटक रहा था उसे घड़े में पानी तो मिला ,परंतु पानी उसके पहुंच के बाहर था । यह कौआ की परीक्षा का क्षण था । उसके धैर्य की उसकी बुद्धि की परीक्षा थी । पानी को अपनी पहुंच के बाहर देखकर कौआ तिलमिलाया नहीं , निराश होकर कोई गलत कदम उठाया नहीं , अपना धैर्य नहीं खोया । शांत भाव से उसने रास्ता तलाशा । आस पास देखा । दिमाग पर जोर दिया । पास पड़े कंकड़ पत्थर को उठाकर घड़े में डाल दिया ,पानी ऊपर आ गया ,कौआ पानी पी कर उड़ गया जरा सोचिये , कौआ अपने आवेगों पर , भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रखता तो क्या करता ? गुस्से में आकर घड़ा में चोंच मारता , घड़ा टूट जाता पानी बिखर जाता कौआ प्यासा ही रह जाता और उसके हिस्से में केवल पश्चाताप होता । कहने का तात्पर्य है कि हर समस्या का समाधान होता है बस समाधान को धैर्य पूर्वक तलाशना होता है ।
परीक्षा परिणाम अंतिम नहीं है , आपके पास और भी हैं रास्ते । हमारे सामने अनेक व्यक्तियों के उदाहरण हैं जो विद्यालयीन शिक्षा में तो असफल रहे पर उन्होंने अलग अलग क्षेत्रों में सफलता पाई। पहले अपने आपको निराशा से बाहर निकालिए । इसके लिए मन को शांत करिए । अपने आवेगों को नियंत्रित करिए । अकेले मत रहिए । अपने किसी अच्छे मित्र /सखी , बड़े भाई – बहन , माता – पिता से अपने मन की बात करिए । अपनी पीड़ा को ,अपनी भावनाओं को साझा करिए । जिस काम में आपका मन लगता है उस काम को करिए । कोई अपना मनपसंद खेल खेलिए , पास के किसी मनोरम बगीचे में साथी के साथ घूमिए ।
प्रिय विद्यार्थियों अपने विभिन्न विषयों के प्राप्तांकों पर शांत भाव से मनन करिए । अपने से ज्यादा नंबर और कम नंबर पाने वाले दोनों प्रकार के साथियों के प्राप्तांको पर विचार करिए ।
सफलता प्राप्त न होने के कारणों को तलाशिए और इन्हें दूर करने का उपाय खोजिए । रास्ता अवश्य मिलेगा । असफलता को अपनी कमजोरी नहीं शक्ति बनाइए और जीवन के समर रूपी राह में निकल चलिए । असफलता कहती है कि आपने एक कोशिश किया और कोशिश कभी बेकार नहीं जाती । अपने आप से कहिए – मुझे एक औरअवसर मिला है कुछ और अच्छा कर दिखाने के लिए ।
लोग क्या कहेंगे ? मुझसे नहीं होगा , मेरा मूड नहीं है , मेरी किस्मत खराब है , मैं नकारा हूं , ऐसे नकारात्मक वाक्यों को अपने दिलों – दिमाग से निकाल फेंकिए ।हमेशा सकारात्मक सोच रखिए ।
चलिए असफलता के कारणों की तलाश करते हैं । असफलता के कई कारण हो सकते हैं । जैसे परीक्षा के समय बीमार हो जाना या परिस्थिति का विषम हो जाना या ऐसा ही और कोई कारण हो सकता है ।
परंतु सब कुछ सामान्य होते हुए भी असफल रहना यह चिंता का विषय है ।
आप में से अधिकांश के असफलता का एक बड़ा कारण – बार-बार समझाइश के बाद भी नियमित विद्यालय न जाना या सभी विषयों की कक्षा में उपस्थित न रहना । कुछ बच्चे नियमित उपस्थित रहते हैं फिर भी असफल होते हैं ऐसे बच्चे भौतिक रूप से कक्षा में तो होते हैं किंतु इनका ध्यान कहीं और होता है , मन भटकते रहता है, एकाग्रता का अभाव होता है नियमित अध्ययन न करना भी एक बड़ा कारण है । कुछ बच्चे साल भर नहीं पढ़ते और जैसे ही परीक्षा का समय आता है रात- रात भर जग कर पढ़ते हैं इसका स्वस्थ्य और दिमाग़ पर विपरीत असर पड़ता है, वर्ष भर की पढ़ाई को कुछ दिन में पूरा करने के चक्कर में तनाव ग्रस्त हो जाते हैं और विषय वस्तु की सही समझ नहीं बन पाती ।
खैर जो भी है , अभी भी आपके पास अवसर है , पर्याप्त समय है । बोर्ड की क्रेडिट योजना के तहत आप पुनः जिन विषयों में अनुत्तीर्ण है , उनमें जुलाई-अगस्त में होने वाली पूरक परीक्षा में बैठ सकते है ।सफल होने पर अगली कक्षा में नियमित प्रवेश की पात्रता रहेगी । तो फिर पूरे मन से ,एकाग्रता से पढ़ाई शुरू कर दीजिए । आपके पास बुद्धि की कमी नहीं है , आप बहुत ही बुद्धिमान ,शक्तिमान है । बस उसका सही दिशा में प्रयोग नहीं कर रहे है ।
आपके माता- पिता की आपसे ज्यादा नहीं बस थोड़ी सी अपेक्षा है , आप परीक्षा पास हो जाएं , काबिल बन जाए ,आपका जीवन सुखमय हो । आपके सुखी जीवन के लिए माता -पिता दिन-रात मेहनत मज़दूरी करते हैं , पसीना बहाते हैं । कभी किसी दिन उनके साथ दिन भर रह कर उनके परिश्रम को देखिए , किस तरह आपकी जरुरतों की पूर्ति करते हैं । आशा है आप अपने माता- पिता की मेहनत को समझेगें ,उनके कठोर परिश्रम का मान रखेगें उनकी अपेक्षा में खरे उतरेंगे ।
मैं आपसे कुछ वर्ष पूर्व जुनवानी विद्यालय में पढ़ने वाली गोदावरी की चर्चा करुँगी । गोदावरी का स्वास्थ्य अच्छा नहीं था । हमेशा बीमार रहती थी,परिणामतः नियमित विद्यालय भी नही जा पाती थी । जाती तो भी दो- चार कालखंड (पीरियड ) ही पढ़ पाती । इसके बाद भी उसने न केवल परीक्षा पास किया बल्कि अच्छे अंक भी प्राप्त की , प्रथम श्रेणी से केवल एक अंक दूर रही ,याने 359 अंक । कारण उसके भीतर पढ़ने की तीव्र इच्छा शक्ति का होना । हिम्मत न हारना । बिस्तर में लेटे लेटे पढ़ती रही , जब अच्छा लगता विद्यालय आकर शिक्षकों से चर्चा कर विषयगत कठिनाइयों को दूर कर लिया करती थी । जब अस्वस्थ रहते हुए भी ,विषम परिस्थिति में गोदावरी सफल हो सकती है तो आप क्यों नहीं ?
तो फिर पूरे मन से जुट जाइए एक नई उड़ान भरने के लिए , सफलता अवश्य आपके कदम चूमेगी ।
०००
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chhattisgarhaaspaas
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