छतीसगढ़ी गीत, ज़ादा तुम ला का समझाना -बलदाऊ राम साहू
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जादा तुम ला का समझाना
सब ला एक्के बात बताना
सच के नइ हे अब पैमाना।
घेरी – बेरी का दुहराना
झूठ ल सच के उप्पर लाना।
हार ल अपने मान लौ भैया
जनता ला फेर सच बताना।
मजदूर अउर कभू किसान ल
तुम्हर काम हे बस भड़काना।
देश हित म थोरिक तो सोचो
करथो काबर तुम बचकाना।
सबके एक दिन आही पारी
लगे रहिथे जी आना-जाना।
धीर धरौ जी थोरकिन तुमन
अपनो मुड़ मा पागा लाना।
‘बरस’ कहत हे समझदार हौ
जादा तुम ला का समझाना।
●नोट-
●घेरी-बेरी=बार-बार ●काबर=क्यों
●मुड़=सिर
●पागा=पगड़ी
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