





कवि और कविता : डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय
1 year ago
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डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय
भूख
अरबों – खरबों वर्ष पहले
धरती थी आग का गोला
ठीक भूखे गरीब के धधकते
खाली पेट की तरह ।
ठंडे गोले पर ही
जनमते हैं
धर्म,जाति, नैतिकता और मानवता के तमाम कचरे
मुखौटों के साथ।
नदी
नदी के प्रवाह- सी नारी
तटों पर बैठकर
कर सकते हो आचमन ।
बांधना,घुमाना
अनचाहे रास्तों पर
होता है घातक
आज नहीं तो कल
किसी नदी की तरह।
पाखंड
सर्जक का पाखंड
सृजन से बड़ा हो गया
बस फिर क्या
तमाम कृतियां
बेहिसाब उत्पाद
देखने में ठीक ठाक
मुकम्मल पर
बोनसाई हो गये।
[ • डॉ. प्रेमकुमार पाण्डेय केंद्रीय विद्यालय वेंकटगिरी आंध्रप्रदेश में पदस्थ हैं. इनका मूल निवास भिलाई-3 छत्तीसगढ़ है. • संपर्क- 98265 61819 ]
०००
chhattisgarhaaspaas
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