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पं. बल्देव प्रसाद मिश्र की 126 वीं जयंती पर विशेष : आलोचक जयप्रकाश साव को ‘साकेत संत सम्मान’ से सम्मानित किया गया
👉 मानस मर्मज्ञ पं. बल्देव प्रसाद मिश्र
छत्तीसगढ़ आसपास [भिलाई] :
‘कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच’ भिलाई-दुर्ग के तत्वावधान में साहित्य मनीषी, मानस के मर्मज्ञ, दार्शनिक, चिंतक एवं राम राज्य के स्वप्नदृष्टा, गहन मनन चिंतन और अपनी लेखनी से साहित्य जगत में गागर में सागर को समाहित कर अभूतपूर्व रचनाओं के रचियता पं. डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र की 126वीं जयंती मनाई गई.
👉 उपस्थित अतिथि
प्रारंभ में अतिथियों ने पं. बल्देव प्रसाद मिश्र के तैल चित्र में पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित किए, उसके पश्चात श्रीमती एस ममता राव ने छत्तीसगढ़ राज्यगान सस्वर में किया.
इस वर्ष का ‘साकेत संत सम्मान’ राज्य के समालोचक साहित्यकार जयप्रकाश साव को दिया गया. सम्मानित करने के पूर्व ‘कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच’ मानव आश्रम भिलाई-दुर्ग के महासचिव रविंद्र मिश्र ने ‘साकेत संत सम्मान’ का वाचन किया. समाज के अध्यक्ष उमाकांत दीक्षित, वरिष्ठ उपाध्यक्ष संतोष दीक्षित ने जयप्रकाश साव को शॉल, श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह देकर अलंकृत सम्मानित किए.
👉 जयप्रकाश साव को ‘साकेत संत सम्मान’ से सम्मानित करते हुए ‘कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच’ के पदाधिकारी
डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र ने रामचरित मानस के सिद्धांतों को बहुत सरल व्याख्या कर जन-जन तक पहुंचाया. अपने जीवन काल में 80 प्रकाशित एवं अप्रकाशित पुस्तकों का सृजन किया. उनके मुक्तक संग्रह साकेत संत का प्रकाशन 1946 में हुआ था. पं. बल्देव जी मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष एवं तुलसी जयंती समारोह के अध्यक्ष पद को सुशोभित किया. उनके कृतियों पर उनके सम्मान में अनेकों सम्मतियां लिखी एवं प्रदान की गई. डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र को विश्वकवि रवींद्रनाथ टैगोर, राष्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त, पं. अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, हिंदी के युग प्रवर्तक पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी और अनेक विचारकों ने अपने- अपने सारगर्भित पत्रों के माध्यम से सम्मानित किया है. मिश्रजी के मुख से प्रत्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने रामायण विद्वतापूर्ण व्याख्या श्रवण कर कहा कि आपने अपने विषय पर गहन अध्ययन किया है.
कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच’ के अध्यक्ष उमाशंकर दीक्षित ने कहा कि-
डॉ.बल्देव प्रसाद मिश्र राष्ट्र की धरोहर संस्कृति,साहित्य,इतिहास हैं. इसे हमें आगामी पीढी को समझना, सहेजना और अंगीकार कर कार्यरूप में परि णित करना चाहिए.
इस अवसर पर मुख्य अतिथि जयप्रकाश, विशिष्ट अतिथि कथाकार लोकबाबू, साहित्यकार श्रीमती प्रतिमा मिश्रा, दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव के सेवानिवृत व्याख्याता आर पी दीक्षित, ‘सरयूपारीण ब्राह्मण समाज’ के अध्यक्ष प्रभुनाथ मिश्र, श्रीमती विनोदनी पांडेय और आशीष मिश्रा ने भी विचार व्यक्त किए.
कार्यक्रम में डी पी राय, रामलखन मिश्रा, रमेश शर्मा, ममता अवस्थी, विजया मिश्रा, विजय तिवारी, अतुल अवस्थी, संदीप दीक्षित, सी के तिवारी, चंद्रकिरण मिश्रा, ममता राव, डॉ. कोमलसिंह सारवा और समाज के अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.
कार्यक्रम का संचालन व आभार व्यक्त ‘कान्यकुब्ज सामाजिक चेतना मंच’ के सचिव राकेश कुमार शुक्ला ने किया. अंत में राष्ट्रगीत हुआ.
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