कविता
4 years ago
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●अग्निपरीक्षा
●संतोष झांझी
अग्निपरीक्षा केवल
क्या एक शब्द मात्र है ?
त्रेता युग में घटी
एक घटना मात्र बस ?
सीता की अग्निपरीक्षा से निकली
वो सहस्त्र अग्निशिखाएँ
उन अग्निशिखाओं में
राम का झुलसना किसनें देखा?
उस दुख और पीड़ा की लपटें
जलाती रहीं उन्हें जीवनपर्यन्त
आज भी बिना अग्नि स्नान के
देती है अग्निपरीक्षा हर नारी
कभी पढाई और नौकरी
कभी विवाह
और कभी परिवार हित में
और केवल नारी ही क्यों?
पुरूष भी झुलसता है हरपल
उसी अग्नि में
कभी पेट के लिये
कभी परिवार की बेलगाम
ख़्वाहिशों के लिये
संतान के भविष्य के लिये
अपनों की खुशी के लिये
आज जीना सहज नहीं
हर किसी के लिये तैयार है
पल पल
हर क्षण अग्निपरीक्षा
●कवयित्री संपर्क-
●97703 36177
chhattisgarhaaspaas
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