





रचना आसपास- डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
4 years ago
177
0
●हिन्द की-अपने घर में रहें
-डॉ. माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’
[ कोरबा-छत्तीसगढ़ ]
वक़्त है बेरहम अपने घर में रहें
ख़ुद पे करिए करम अपने घर में रहें
दूर रहने से बढ़ती हैं नज़दीकियां
इल्तिज़ा है सनम अपने घर में रहें
रोज़ होगा नहीं आमना – सामना
मिल न पाएंगे हम अपने घर में रहें
लग गयी गर किसी की बिमारी तुम्हें
दर्द होगा न कम अपने घर में रहें
साँस लेना हवाओं में दुश्वार है
टूट जाएगा दम अपने घर में रहें
मौत को जन्म देती है हर धृष्टता
पालिए न वहम अपने घर में रहें
कुछ दिनों के लिए सत्य को ढूंढिए
मन में रखिए न ग़म अपने घर में रहें
शीघ्र टल जाए संकट दुआ कीजिए
करते रहिए हवन अपने घर में रहें
सावधानी से संभव है इसका गमन
है सभी को नमन अपने घर में रहें.
●कवि संपर्क-
●7974850694
◆◆◆ ◆◆◆
chhattisgarhaaspaas
विज्ञापन (Advertisement)



ब्रेकिंग न्यूज़
‹›
कविता
‹›
कहानी
‹›
लेख
‹›
राजनीति न्यूज़
‹›