■कविता आसपास : •श्रीमती सुभद्रा कुमारी.
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●उड़ जा रे पक्षी
-श्रीमती सुभद्रा कुमारी
[ भिलाई-छत्तीसगढ़ ]
मन का पिंजरा तोड़ कर
उड़ जा रे पंक्षी
सीने में तूफान लिए
ढेर सारा आसमान लिए
उड़ जा तू उन्मुक्त गगन में,
कोई भुले बिसरे तान छेड़कर
लिख देना आकाश में
फिर कोई नई कहानी
याद रखें जिसे सदियों तक
हर कोई अपनी जुबानी,
तुझे कोई रोकेगा नहीं
तुझे कोई टोकेगा नहीं
क्योंकि आज तू आजाद है
इन फिजाओं में इन बहारों को
तुझे बतलाना है
तुझमें भी आग है
तुझमें भी राग है
आज तुझे सीना चीरकर
ये दिखालाना है
तू कोई अबला और बेवश नहीं
चाहे तो तूफानों का रुख मोड़ दे
सारी पाबंदियां तोड़ दे
बस मन का पिंजरा तोड़ कर
अभिशप्त जिंदगी को छोड़ दे।
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