■विषय-विशेष पर रचना : •विद्या गुप्ता.
3 years ago
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●पिता
-विद्या गुप्ता
[ दुर्ग-छत्तीसगढ़ ]
किसी ने पूछा-
पिताजी घर में है
सबकी नजरें सहसा उठ जाती है
खुंटी की ओर….!!
छाता चाबी टोपी
टंगी है खूंटी पर
यानी अभी नहीं गए
घर में है पिताजी
नहीं है खूंटी पर
चाबी टोपी और छड़ी यानी घर में नहीं है पिताजी
छड़ी, टोपी, चाबी का पर्याय बने पिताजी
टंगे रहे सारी उम्र
खूंटी पर
हमारे लिए
कालांतर में
आज चाबी छड़ी
टंगी है खूंटी पर
लेकिन नहीं है पिताजी घर में
समय के साथ
बदल जाते हैं साधन लेकिन बदलते नहीं
छड़ी टोपी चाबी जैसे साधन बने पिता…..!!
●कवयित्री संपर्क-
●96170 01222
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