■ दो लघुकथाएं: ‘सिक्का’. •रामनाथ साहू.
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(1) जोरावर सिंह को राह चलते एक रुपए का सिक्का पड़ा हुआ मिला था, तब वह बहुत खुश हुआ था ।
इतना अरसा बीत जाने के बाद ,आज उसे दुबारा फिर एक रुपये का सिक्का मिला । जोरावर ने उसे उठा लिया और बहुत देर तक उलट- पलट कर देखता रहा …
जोरावर आज खुश नहीं था ।
(2) अनिल और उसके बाबा , पार्क में साथ – साथ घूम रहे थे । तभी उन्हें एक रुपये का सिक्का पड़ा हुआ दिख गया ।
अनिल बहुत खुश हुआ । उसे टॉफी चाहिए थी, जो एक रुपए में मिल जाती है । पिताजी विशेष खुश नहीं हुए । उन्हें नया घर जो चाहिए था ।
●लेखक संपर्क-
●99773 62668
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