■नव गीत : •डॉ. मीता अग्रवाल ‘मधुर’
3 years ago
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●सिकुड़ी अतडी नैना पानी,
●बाज़ी उल्टी मर्दन की.
-डॉ. मीता अग्रवाल ‘मधुर’.
[ रायपुर-छत्तीसगढ़ ]
सिकुड़ी अतडी नैना पानी
क्षुधा नग्न सी नर्तन की।
लोलुपता मुँह मगर दंत-सी
सेंध लगाने को आकुल
पानी भीतर मैला गँदला
ऊपर सुथरा नामाकुल
पाँव पड़ा तल मे जैसे ही
ऊँची उसने गर्दन की।
पंछी देखा दाना फेंका
जाल स्वर्ण बुन फैलाया
पीत चमक भरमाता देखें
चतुर शिकारी मुसकाया
राजनीति के खेल निराले
उठा पटक संवर्धन की।
पेट पीठ जब एक दिखे है
हाड़ मांस का है पुतला
भ्रम चारा मुँह चिकनी बातें
मान दिवाली मन उथला
चाल चले फिर शकुनी पासे
बाजी उलटी मर्दन की।।
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