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भिलाई इस्पात संयंत्र से सेवा निवृत महाप्रबंधक निर्मलेंदु डे के द्वारा लिखित बांग्ला डाक्युमेंटरी आत्मकथा पुस्तक ‘जीवन आमार चोलछे जेमॉन’ [जिंदगी यूँ ही चल रही है मेरी] का विमोचन हुआ…
👉 कृतिकार निर्मलेंदु डे का अभिनंदन करते हुए ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के पदाधिकारी…
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आत्मकथा संग्रह ‘जीवन आमार चोलछे जेमॉन’ का विमोचन
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लेखक निर्मलेंदु डे बांग्ला की एक मात्र प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के आजीवन सक्रिय सदस्य हैं
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विमोचन समारोह भिलाई निवास के इंडियन कॉफी हाउस में होली के पूर्व संध्या होलिका दहन के दिन 24 मार्च को सम्पन्न हुआ
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मुख्यअतिथि ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के पूर्व अध्यक्ष चन्द्रनाभ दासगुप्ता और अध्यक्षता ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की अध्यक्ष व बांग्ला की देशव्यापी चर्चित कवयित्री श्रीमती बानी चक्रवर्ती थीं
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विमोचन के अवसर पर देश की सुप्रसिद्ध कथाकारा व मधुर स्वर की कवयित्री श्रीमती संतोष झांझी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं
भिलाई [छत्तीसगढ़ आसपास न्यूज़] : विगत दिनों सम्पन्न भिलाई इस्पात संयंत्र के पूर्व सेवानिवृत महाप्रबंधक निर्मलेंदु डे की कृति बांग्ला आत्मकथा संग्रह जीवन आमार चोलछे जेमॉन के अवसर पर लेखक ने कहा-
👉 कृतिकार निर्मलेंदु डे
पुस्तक लिखने की ऊर्जा और प्रेरणा मुझे ख्यातिलब्ध बांग्ला लेखक स्व. शिबव्रत देवानजी और वयोवृद्ध लेखक उत्पल सेनगुप्ता से मिली. उन्होंने पुस्तक के कुछ घटनाओं का जिक्र करते हुए पाठ भी किया.
इसके पूर्व पुस्तक का विमोचन किया गया. ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के पृष्ठपोषक कवि गोविंद पाल ने कृतिकार निर्मलेंदु डे को शॉल, श्रीफल व पुष्पगुच्छ से सम्मानित किया. संस्था के सभी सदस्यों ने भी सम्मानित करते हुए शुभकामनाएं बधाई दी और उनके सम्मान में अतिथियों ने कहा-
संतोष झांझी अपने उद्बोधन में भावुक होती हुए बोलीं-
मेरे जीवन में भी सुख दुःख के साथ, दर्द भरी घटनाएं हैं. जीवन के अनुभवों को कई बार सोचकर भी लिख नहीं पाई, जिसका आज भी मुझे मलाल है. उम्र के इस पड़ाव में अब चाहकर भी नहीं लिख सकती हूँ. निर्मलेंदु जी ने समय रहते आत्मकथा लिखने का साहस दिखाया, इसके लिए लेखक को साधुवाद देती हूँ.
👉 संतोष झांझी भावुक होकर अपनी बात करती हुई…
चंद्रनाभ दासगुप्ता, ‘बंगीय साहित्य संस्था’ की उप सभापति व बांग्ला की लेखिका स्मृति दत्ता, बानी चक्रवर्ती, दीपाली दासगुप्ता, प्रकाशचन्द्र मण्डल और लेखक की धर्मपत्नी अनिता डे ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए बोले कि लेखक अपनी लेखनी को थमने न दें और निरंतर लिखते रहें.
विमोचन कार्यक्रम का संचालन गोविंद पाल ने किया.
👉 ‘बंगीय साहित्य संस्था’ के उपस्थित सदस्य…
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दूसरे सत्र में गोविंद पाल के संचालन में काव्य गोष्ठी हुई. काव्य पाठ में गोविंद पाल, प्रकाश चंद्र मण्डल, बृजेश मलिक, सोमाली शर्मा, दीपाली दासगुप्ता, स्मृति दत्ता, बानी चक्रवर्ती, संतोष झांझी, दुलाल समाद्दार ने अपनी- अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया. निर्मलेंदु डे ने रविंद्र नाथ ठाकुर की कविता आवृति पढ़कर सुनाई.
इस महत्वपूर्ण आयोजन में समाजसेवी एवं ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के सलाहकार संपादक आलोक कुमार चंदा, समाजसेवी सुबीर राय और रविंद्रनाथ देबनाथ भी उपस्थित थे.
दोनों सत्रों का आभार व्यक्त ‘ बंगीय साहित्य संस्था’ के सह सचिव व बांग्ला-हिंदी के चर्चित कवि नाट्यकार प्रकाशचंद्र मण्डल ने किया.
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