■कुकुभ छंद : केवरा यदु ‘मीरा’
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♀ छेरछेरा
♀ केवरा यदु ‘मीरा’
[ राजिम,छत्तीसगढ़ ]
सुनौ छेरछेरा आगे गा, लइकन झोला धर आथे।
छेरिक छेरा दे दे दाई,कहिके जम्मों चिल्लाथे।।
मींजे कूटे कोठी भरगे,छलकत ले लक्ष्मी दाई।
दान आज के दिन तँय करले,पुण्य करम थोरिक माई।।
धन दोगानी सँग नइ जावे,करम कमाई जाथे जी।
बेद पुराण संत ज्ञानी मन,रसता
इही बताथे जी।।
कोनो आथे बाजा धर के,राम नाम गुण गाथे जी।
कोनो ड़फली धरे मोहरी,राग म राग मिलाथे थे।।
डंडा नाचे गीत ल गाके,कुहकी कोनो पारत हे।
बाजे डंडा चट चट भैया,कूद कूद के नाचत हे।।
दाई राँधे खुरमी बबरा,महर महर ममहावय जी।
नोनी बाबू आज मगन हे, जुर मिल सबो खवावय जी।।
आथे एक बछर में भैया,पुन्नी पूस कहावत हे।
महानदी में डुबकी लेथें,भोले नाथ मनावत हे।।
■कवयित्री संपर्क-
■93993 04136
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