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हमर छत्तीसगढ़ : घोटूल माने मुरिया जनजाति के जुन्ना विश्वविद्यालय – ओम प्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘
हमर छत्तीसगढ के बस्तर क्षेत्र अपन जन जातीय संस्कृति के कारन भारत के संगे- संग दुनियां भर म एक अलगे पहिचान रखथे. इहां के रहन- सहन, आचार- विचार, संस्कृति -सभ्यता , परंपरा -संस्कार जहां लोगन मन बर आश्चर्य के विषय हे त इहां के कतको नियम – धियम ह अबूझ पहेली घलो हे जउन ल समझना वत्तिक सरल नइ हे जइसे हमन उपरे उपर समझे के कोशिश करथन. अइसने एक पहेली हरे घोटुल. जेला हमन सिरिफ प्रेम प्रसंग के जगह समझ जाथन?
सबले पहिली जाने के कोशिश करथन कि घोटुल का हरे. जन जाति मन म “युवा घर” के परंपरा रहे हे. परजा जन जाति म धागा बक्सर,उरांव के धुम कुरिया,बिरहोर के गितिओना,भारिया के घसरवासा, भुइंया जन जाति के रंग भंग, अबूझमाड़िया जन जाति के कोसीघोटुल अउ अइसने मुरिया, मारिया व गोंड़ जन जाति मन के” युवा घर “ल घोटुल कहे जाथे. युवा गृह घास- फूस ले बने एक झोपड़ी या मकान होथे जउन गांव के बींचो- बीच या जंगल के पास बनाय जाथे.
घोटुल के मायने
आवव घोटुल के मायने ल जानथन. येकर सही नांव गोटुल हरे. गोटुल के अर्थ होथे गोंगा स्थल या “विद्या ठउर” . येहा गांव के बीच म बनाय जाथे.अब नामे से स्पष्ट झलकत हे कि घोटुल मात्र रास -रंग के ठउर नोहे बल्कि येकर अउ कतको नीक उद्देश्य हे जेकर माध्यम ले मुड़िया या मुरिया जन जाति के युवक (चेलिक) अउ युवती ( मुटियारिन) मन येमा शामिल होके जिनगी जीये के मरम ल समझथे. येहा परिवारिक, सामाजिक दायित्व ल समझे के मउका देथे जउन जिनगी म अब्बड़ काम देथे. घोटुल के जन्मदाता लिंगोपेन माने जाथे जेहा जन जाति मन के मुख्य देवता हरे.घोटुल ल” कुमार घर” (गृह) घलो कहे जाथे. इहां सामाजिक, राजनीतिक अउ धार्मिक जिनगी जीये के शिक्षा मिलथे. युवा गृह के माध्यम ले जन जाति समाज के युवक -युवती मन सामाजिक रीति रिवाज अउ परंपरा ले जुड़े ज्ञान ल सीखथे. अतकिच नइ घोटुल के माध्यम ले वोमन अपन समाज के बढ़वार म घलो योगदान देथे. घोटुल के मुख्य नृत्य मांदरी हरे जेला पुरुष वर्ग मन संचालन करथे.
घोटुल के नियम
बस्तर के घोटुल म ७ बरस ले १६ बरस उमर तक के युवक- युवती मन दाखिल
ले सकथे. इहां अविवाहित युवक -युवती मन संझा बेरा इकट्ठा होथे अउ रात म घर वापस आथे. येमन ल चेलिक ( प्रेमी) अउ मुटियारिन ( प्रेमिका) कहे जाथे.
मानलो कोनो मुटियारिन ह घोटुल म कोनो चेलिक ले प्रेम करे ल लग जाथे त वोकर चेलिक (प्रेमी) के नांव पूछ करके वोकर संग बिहाव कराय जाथे. शादी के बाद दंपत्ति ल घोटुल म रहना वर्जित रहिथे पर घोटुल का मुखिया वो दंपत्ति ले ये बचन लेथे कि वोमन अपन संतान ल घोटुल म जरूर भेजही. घोटुल म दंड के नियम हे जेकर पालन सबो सदस्य मन ल करना रहिथे. येमा सदस्य मन अपन ले बड़का सदस्य मन ल प्रनाम करथे जेला राम जुहार प्रथा कहे जाथे.ये संस्था म सरदार के पद सबले बड़े होथे.येकर चुनाव आम सहमति ले करे जाथे.
घोटुल म चेलिक मन के मुखिया (सरदार पुरुष)ल सिरेदार अउ मुटियारिन मन के मुखिया (सरदार महिला) ल बेलोसा कहे जाथे. अक्सर घोटुल के संचालन विधुर या परित्यक्त व्यक्ति ह करथे.
घोटुल के उद्देश्य
कोनो भी संस्था बनाय के पीछे वोकर उद्देश्य जरूर होथे त घोटुल कइसे अछूता रहि.
१ .येहा भोजन इकट्ठा करे खातिर एक महत्वपूर्ण आर्थिक संगठन हरे.
२. येहा युवक युवती मन ल सामाजिक अउ जिनगी संबधी कारज ल सही ढंग से करे के उदिम सिखाथे.
३. येहा जादू अउ धर्म ले संबंधित संस्कार,लोक परंपरा ल सीखे के ठउर हरे. जइसे वोमन ल भरोसा रहिथे कि शिकार म सफलता जरूर मिलही अउ
युवक -युवती मन के उत्पादन शक्ति म बढ़वार होही.
व्यवहारिक उद्देश्य –
घोटुल के व्यवहारिक उद्देश्य म शामिल हे.
१. युवक युवती मन म सेवा भाव जगाना .
२ . सामाजिक शिक्षा देना .
३ . जीवन साथी के चयन करना.
घोटुल के प्रमुख परब
घोटुल म समय- समय म उत्सव,
तिहार मनाय जाथे जेमा नुनानारे दाना पंडुम,वेल पिज्जा,पारंद,नया खानी,हरेली,दीयारी,काडामारगा, कारा पंडुम,कोरता पंडुम,कोरे पंडुम,ईराऊ पंडुम,मर्का पंडुम, प्रमुख हरे.
घोटुल के पहुना
घोटुल के परब,उत्सव म गांव के गायता ( मुखिया), दूसर क्षेत्र के अपरगना माझी (मुखिया), दूसरा घोटुल के चेलिक -मुटियारिन पेड़गा- पेड़गी, नव जवान पेकी, गांव के धार्मिक कार्य ल ल संपन्न करने वाला पेरमा,गांव के उपमुखिया पदा, दूल्हामेइदों, जादू टोना जानने वाला सिरहा, मरन संस्कार करने वाला हेनगुंडा मन ल निमंत्रण दे जाथे.
तो ये प्रकार ले घोटुल मुरिया जन जाति मन के प्रमुख सामाजिक संस्था हरे. मेल जोल के सबले बढ़िया माध्यम हरे जेकर माध्यम ले मुरिया जन जाति संगठित रहिथे अउ अपन, संस्कृति, सभ्यता अउ संस्कार ले जुड़े रहिथे. आधुनिक,पाश्चात्य संस्कृति अउ नक्सलवाद जइसन समस्या ह बस्तर के “युवा घर”(गृह) मन बर एक बड़का संकट हरे.
•ओमप्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘
•संपर्क –
•79746 66840
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