कविता आसपास : ठाकुर पीतांबर सिंह राजपूत
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🌸 अभागा
– ठाकुर पीतांबर सिंह राजपूत
[ छुईखदान, जिला – खैरागढ़, छत्तीसगढ़ ]
जियत जिनगी बिन मउत मरे।
जेखर अंग करिया कउथ परे।
तिपत भोम्भरा बिन भंदिया के,
रेंगय खुर्रा कोन दिन डरे।
तिर तरिया तरसे पानी बर।
बीस बरिस म घलो जवानी बर।
उकती सूरज कस कब दिखथे,
हीरो जे कोनो कहानी बर।
नयनन म आँसू धार धरे।
बिन लाठी बेड़गा मार परे।
माटी के रंग जेन मिल जाथे
माटी म उही धन उपजाथे।
माटी म माथ नवाय सबो,
फेर माटी ल कोन अपनाथे
धरती के सुधी सिंगार करे।
तरसय कोरा वो लाल परे।
जेखर अंग पिंवरा ओग्गर हे।
तन मोठ डांट अउ पोख्खर हे।
माटी के रंग जे नइ जानय ,
माटी के मालिक चोख्खर हे।
दुरभाग देश अउ माटी के,
अइसन मन देश म राज करे।
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