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कभी 360 तालाबों का था सिर पर ताज! अब पहचान बचाने की जद्दोजहद कर रहा लखनपुर

2 days ago
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छत्तीसगढ़ के सरगुजा (Surguja) जिले का जनपद पंचायत लखनपुर (Lakhanpur), जो कभी 360 तालाबों (Ponds) के लिए प्रसिद्ध था, अब अपने तालाबों के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है… यह इलाका एक समय पानी से पूरी तरह समृद्ध था. तालाबों की भरपूर संख्या यहां के किसानों और ग्रामीणों के लिए जीवनदायिनी थी. लेकिन आज, इन तालाबों की स्थिति बहुत दयनीय हो चुकी है… अधिकांश तालाब सूख चुके हैं, जबकि जो बचे हैं, उनकी हालत बहुत खराब है और ये गंदगी की भेंट चढ़ चुके हैं.

ऐसा रहा है सरगुजा राज्य का इतिहास

प्राचीन काल में सरगुजा राज्य का वैभव दूर-दूर तक फैला हुआ था. सरगुजा राज्य के महाराजाओं ने जहां एक तरफ यहां धार्मिक स्थल का भव्य निर्माण कराया, वहीं कृषि कार्य को देखते हुए राज्य के अभिन्न अंग लखनपुर राजघराने के राजा लाखन ने लखनपुर में 360 तालाबों का निर्माण अपने कार्यकाल में कराया. लेकिन, बदलते वक्त में आज राजा तो नहीं रहे, लेकिन उनके द्वारा बनवाए गए तालाब आज भी मौजूद है, जो प्रशासन की अनदेखी के कारण अपना अस्तित्व बचाने की अंतिम लड़ाई लड़ रहे हैं. यही कारण है कि लखनपुर क्षेत्र के गांवों में आजकल पानी की कमी गंभीर समस्या बन चुकी है.

लगातार कम हो रहा तालाबों का पानी

लखनपुर क्षेत्र में सबसे ज्यादा असर बचे हुए तालाबों पर पड़ा है. इन तालाबों का पानी लगातार कम हो रहा है और उनमें गंदगी भी भर गई है. अधिकतर तालाबों में पानी की बजाय कीचड़ और मलबा जमा हो गया है, जिससे उनके पुनर्जीवन की उम्मीदें कम हो रही हैं. कई तालाबों के आसपास के क्षेत्रों में घास और झाड़ियां उग आई हैं, जिससे यह तालाब सूखे हुए दिखाई देते हैं.

लखनपुर में तालाबों के अस्तित्व पर खतरा

क्या कहते हैं जानकार

जानकारों की मानें, तो तालाबों का महत्व केवल जल आपूर्ति तक सीमित नहीं है. ये तालाब पर्यावरण के संतुलन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. जलवायु परिवर्तन और बारिश की अनियमितता ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है. किसानों को अब पानी की कमी के कारण फसलों की सिंचाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ गांवों में तो जल संकट इतना गहरा हो गया है कि लोग दूर-दूर से पानी लाने के लिए मजबूर हैं.

संगठित प्रयास की जरुरत

NDTV से खास बातचीत करते हुए स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इन तालाबों की हालत में सुधार नहीं किया गया, तो भविष्य में पानी की समस्या और गंभीर हो सकती है. कई गांवों में अब पानी के लिए संघर्ष शुरू हो चुका है. हालांकि, कुछ सरकारी योजनाओं के तहत तालाबों को पुनर्जीवित करने की कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन ये प्रयास अब तक बहुत प्रभावी नहीं हो पाए हैं. तालाबों के संरक्षण के लिए कई जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, लेकिन उनका असर सीमित ही रहा है. पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि इन तालाबों के पुनर्निर्माण के लिए व्यापक और संगठित प्रयास की आवश्यकता है.

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